नैनीताल , दिसंबर 01 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल की सूखाताल झील के सौन्दर्यीकरण और अतिक्रमण के मामले में ताज़ा स्थिति जानने के लिए जिलास्तरीय विकास प्राधिकरण के सचिव को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए हैं।
स्वत: संज्ञान वाली इस जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में सोमवार को सुनवाई हुई। आज डीडीए की ओर से अदालत के समक्ष झील के सौन्दर्यीकरण को लेकर स्थिति रिपोर्ट पेश की गई।
न्यायमित्र अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि सौन्दर्यीकरण कार्य वैटलैंड के प्रावधानों के अनुसार नहीं किया जा रहा है। डीडीए के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा गया कि झील का सौन्दर्यीकरण कार्य वैटलैंड नियमावली के तहत किया जा रहा है।
न्यायमित्र अधिवक्ता की ओर से यह भी कहा गया कि खंडपीठ के आदेश के बावजूद झील के किनारे अतिक्रमण को हटाया नहीं गया है। अंत में अदालत ने दोनों मामलों में वस्तुस्थिति जानने के लिए डीडीए के सचिव को बुधवार को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022 में उच्च न्यायालय ने एक पत्र के आधार पर इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर कर ली थी। साथ ही सौन्दर्यीकरण कार्य पर रोक लगा दी थी। वर्ष 2024 में अदालत ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए रोक को हटा दिया था। साथ ही झील के किनारे से अतिक्रमण को भी हटाने को कहा था।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित