नारायणपुर , नवम्बर 22 -- छत्तीसगढ़ में नारायणपुर जिला के अबूझमाड़ क्षेत्र में पुलिस, जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) 44वीं बटालियन ने संयुक्त रूप से वर्ष 2025 का 19वां सुरक्षा एवं जन-सुविधा कैंप स्थापित किया। यह कदम नक्सल प्रभावित माड़ क्षेत्र में सुरक्षा, विकास और विश्वास निर्माण के व्यापक प्रयासों को मजबूती प्रदान करता है।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय की ओर से शनिवार को मिली जानकारी के मुताबिक नक्सल उन्मूलन और विकास को गति देने की दिशा में कदम उठाते हुए ओरछा थाना क्षेत्र के ग्राम पदमेटा में 21 नवम्बर को नारायणपुर जिला के अबूझमाड़ क्षेत्र में पुलिस, जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) 44वीं बटालियन ने संयुक्त रूप से वर्ष 2025 का 19वां सुरक्षा एवं जन-सुविधा कैंप स्थापित किया। पदमेटा लंबे समय से माओवादियों का सक्रिय आश्रय स्थल रहा है। यहां पर सुरक्षा बलों की ओर से कैंप की स्थापना किये जाने को स्थानीय ग्रामीणों ने उत्साह के साथ स्वीकार किया है। कैंप से ओरछा, आदेर, कुड़मेल, जाटलूर और डोडीमरका जैसे गांवों के बीच सुरक्षा और आवागमन में भी सुधार होगा, क्योंकि यह क्षेत्र वर्षों से अविकसित बुनियादी सुविधाओं और भय के वातावरण से घिरा रहा है।
नारायणपुर पुलिस के अनुसार कैंप स्थापित होने से ताडवाडा, रासमेटा, मलंगा, हिपु, करंगुल, मुरूमवाड़ा और कुमनार जैसे गांवों में सड़क निर्माण, शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाओं, पुल-पुलिया, मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी और अन्य मूलभूत सुविधाओं का विस्तार अब तेज गति से किया जा सकेगा।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक पी. सुन्दराज ने कहा, "अबूझमाड़ में कैंपों की स्थायी उपस्थिति न केवल सुरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि विकास कार्यों को गांव-गांव तक पहुँचाने के हमारे लक्ष्य को भी साकार करती है। यह क्षेत्र अब मुख्यधारा से तेजी से जुड़ रहा है।"नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक रोबिनसन गुरिया ने इसे 'स्थानीय समुदायों में विश्वास बहाली का निर्णायक चरण' बताया।
वर्ष 2025 में सुरक्षा एजेंसियां पहले ही कुतुल, कोडलियर, बेडमाकोटी, पदमकोट, नेलांगूर, पांगूड, रायनार, ईदवाया, कुड़मेल, जाटलूर, डोडीमरका सहित 18 अन्य स्थानों पर नए कैंप स्थापित कर चुकी हैं।
इस अभियान में डीआरजी, बस्तर फाइटर्स और आईटीबीपी की 27वीं, 38वीं, 40वीं और 44वीं वाहिनियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश के तहत यह कार्रवाई अबूझमाड़ को नक्सल मुक्त बनाने और एक सशक्त, विकसित बस्तर की दिशा में चल रहे 'माड़ बचाओ' अभियान का अहम हिस्सा है।
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