नयी दिल्ली , दिसंबर 01 -- उच्च्तम न्यायालय ने मंगलवार को रोहिंग्याओं की वैधता पर सवाल उठाते कहा कि क्या भारत सरकार ने कभी रोहिंग्याओं को 'रिफ्यूजी' घोषित करने का आदेश जारी किया है।
न्यायालय का यह सवाल उस याचिका के संदर्भ में सामने आया है जिसमें आरोप लगाया गया कि दिल्ली पुलिस ने मई में पांच रोहिंग्या लोगों को हिरासत में गायब कर दिया था।
मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता की दलीलों का जवाब देते हुए कहा, "भारत सरकार का उन्हें रिफ्यूजी घोषित करने का आदेश कहां है? 'रिफ्यूजी' एक अच्छी तरह से तय कानूनी शब्द है और किसी को रिफ्यूजी घोषित करने के लिए एक तय अथॉरिटी है। अगर कोई लीगल स्टेटस नहीं है और कोई घुसपैठिया है जो गैर-कानूनी तरीके से घुसा है, तो क्या उसे यहां रखना हमारी जिम्मेदारी है?"अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई इस मुद्दे पर लम्बित दूसरी जुड़ी याचिकाओं के साथ की जाएगी।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले असर पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, "उत्तर भारत में सुरक्षा के दृष्टिकोण से हमारी सीमा बहुत संवेदनशील है। अगर कोई घुसपैठिया आता है, तो क्या हम उनका रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत करते हैं और सभी सुविधाएं देते हैं?"उल्लेखनीय है कि यह टिप्पणी शीर्ष अदालत द्वारा रोहिंग्या और बंगलादेशी प्रवासियों की वैधता पर सफाई मांगने के कुछ दिनों बाद आई है। अदालत ने उन याचिकाओं पर सुनवाई की जिनमें उनकी पहचान और निष्कासन के लिए निर्देश मांगे गए थे।
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