नयी दिल्ली , नवंबर 11 -- उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के अकोला में मई 2023 में सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े हमले के मामले की जाँच के लिए हिंदू और मुस्लिम समुदायों के पुलिस अधिकारियों वाले एक विशेष जाँच दल (एसआईटी) के गठन के पहले के निर्देश पर मंगलवार को रोक लगा दी।

यह रोक महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर एक पुनर्विचार याचिका पर नोटिस जारी करने के बाद लगायी गयी है।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने इस मामले पर विचार किया। इससे पहले दो न्यायाधीशों की पीठ ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए इस बात पर विभाजित फैसला सुनाया था कि क्या एसआईटी का पूर्व का निर्देश बरकरार रहना चाहिए।

राज्य की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने तर्क दिया कि पहले का निर्देश अस्थिर है और न तो शिकायतकर्ता और न ही आरोपी जाँच एजेंसी के गठन की माँग कर सकते हैं।

उन्होंने इस तर्क के समर्थन में डिवाइन रिट्रीट सेंटर बनाम केरल राज्य मामले में दिए गए फैसले का हवाला दिया कि न्यायालय को समुदाय-आधारित मानदंडों के बिना स्वयं ही जाँच अधिकारी का निर्धारण करना चाहिए। एसजी ने आगे कहा कि यदि आवश्यक हो, तो उच्चतम न्यायालय स्वयं एसआईटी के लिए अधिकारियों की नियुक्ति कर सकता है।

पीठ ने प्रस्तुतियों पर ध्यान देते हुए निर्देश दिया, "चार सप्ताह में जवाब देने योग्य नोटिस जारी करें। इस बीच मुख्य न्यायाधीश ने आदेश दिया कि समीक्षाधीन फैसले के पैराग्राफ 24 पर रोक रहेगी।"इस पैराग्राफ में महाराष्ट्र के गृह विभाग को दंगों के दौरान एक 17 वर्षीय पीड़िता पर कथित हमले की जाँच करने और कर्तव्य में कथित लापरवाही के लिए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए "हिंदू और मुस्लिम समुदायों" के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया गया था।

इससे पहले 11 सितंबर को न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति एस.सी. शर्मा की पीठ ने जाँच के तरीके की आलोचना की थी और समुदाय-प्रतिनिधि एसआईटी के गठन का निर्देश दिया था। हालाँकि सात नवंबर को राज्य की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए उसी पीठ ने एक विभाजित फैसला सुनाया।

न्यायमूर्ति कुमार ने यह कहते हुए पहले के निर्देश की समीक्षा करने से इनकार कर दिया कि इसका उद्देश्य सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मामले में निष्पक्षता सुनिश्चित करना है, जबकि न्यायमूर्ति शर्मा ने समीक्षा पर नोटिस जारी किया।

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