शिमला , दिसंबर 07 -- हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने रविवार को डॉक्टरों के लिए विभिन्न मापदंडों पर आधारित प्रोत्साहन नीति की घोषणा की।

इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी), शिमला के केंद्रीय छात्र संघ द्वारा आयोजित वार्षिक समारोह को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री ने आईजीएमसी के छात्रों की सभी क्षेत्रों में लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का नाम रोशन किया है। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि आगामी बजट में पीजी रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए मासिक वेतन पहले वर्ष में 50,000 रुपये, दूसरे वर्ष में 60,000 रुपये और तीसरे वर्ष में 65,000 रुपये किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने आईजीएमसी में लेप्रोस्कोपिक सुविधाओं के लिए पांच करोड़ रुपये और एनेस्थीसिया विभाग के लिए छह करोड़ रुपये की घोषणा की। उन्होंने अधिकारियों को आईजीएमसी में नए छात्रावास के निर्माण के लिए आवश्यक भूमि हस्तांतरण प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया और आईजीएमसी के प्राचार्य को कमला नेहरू अस्पताल से स्त्री रोग विंग को आईजीएमसी में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया जल्द पूरा करने का भी निर्देश दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश में विश्वस्तरीय नैदानिक सुविधाएं सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है और पांच मेडिकल कॉलेजों को उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकी से सुसज्जित किया जाएगा। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने आईजीएमसी, एआईएमएसएस चमियाणा, टांडा मेडिकल कॉलेज, तथा मंडी के लाल बहादुर शास्त्री राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल और हमीरपुर स्थित डॉ. राधाकृष्णन राजकीय मेडिकल कॉलेज में अस्थि मज्जा अवसंरचना विकास के लिए पांच-पांच करोड़ रुपये देने की घोषणा की।

उन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन के लिए केंद्रीय छात्र संघ को पांच लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की। मुख्यमंत्री ने कहा कि आईजीएमसी, टांडा मेडिकल कॉलेज और चमियाना स्थित सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में स्मार्ट लैब स्थापित करने के लिए 75 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार राज्य में रोबोटिक सर्जरी शुरू की गई है। हाल ही में, शिमला के चमियाना स्थित अटल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सुपर स्पेशियलिटीज़ और कांगड़ा के टांडा मेडिकल कॉलेज में रोबोटिक मशीनें स्थापित हुई हैं, जिससे राज्य के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत हुई है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना को उन्नत बनाने और आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश करने का निर्णय लिया है। सरकार ने दो दशकों से उपयोग में लाए जा रहे चिकित्सा उपकरणों को एम्स, दिल्ली और पीजीआई, चंडीगढ़ के मानकों के अनुरूप आधुनिक एवं उन्नत मशीनरी से बदलने का भी निर्णय लिया है। चिकित्सा शिक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए सरकार ने बीएससी चिकित्सा प्रयोगशाला, रेडियोलॉजी एवं इमेजिंग, एनेस्थीसिया एवं ओटी तकनीक में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सीटों की संख्या आईजीएमसी में 10 से बढ़ाकर 50 कर दी है तथा टांडा मेडिकल कॉलेज में 18 से बढ़ाकर 50 कर दी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर पहले 36 घंटे की शिफ्ट में काम करते थे जिसे अब अधिकतम 12 घंटे तक सीमित कर दिया गया है। सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों का स्टाइपेंड 60,000 रुपये से बढ़ाकर 1,00,000 रुपये प्रति माह किया गया है, जबकि सुपर-स्पेशलिटी विभागों में इसे 1,00,000 रुपये से बढ़ाकर 1,30,000 रुपये किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार छात्रों और डॉक्टरों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रही है। पिछले तीन वर्षों में सरकार ने चिकित्सा शिक्षा अवसंरचना को मजबूत करने एवं आधुनिक उपकरणों की खरीद पर 1,207 करोड़ रुपये खर्च किए है।

चंबा, हमीरपुर और नेरचौक मेडिकल कॉलेजों में पीजी पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। सभी मेडिकल कॉलेजों में आपातकालीन चिकित्सा विभाग भी स्थापित किए गए हैं, जिससे चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित हुई है। उन्होंने कहा कि 57 कैजुअल्टी चिकित्सा अधिकारियों की सीधी भर्ती से नियुक्ति की गई है जबकि विभिन्न कॉलेजों में आपातकालीन सेवाओं के लिए 32 विशेषज्ञ पद सृजित किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि चमियाना में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का परिचालन शुरू हो चुका है और आईजीएमसी में ट्रॉमा सेंटर और नया ओपीडी ब्लॉक भी शुरू हो गया है। राज्य सरकार न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र को सुदृढ़ कर रही है बल्कि राज्य को इस क्षेत्र में एक आदर्श राज्य बनाने की दिशा में काम कर रही है। प्रगतिशील सोच के साथ, यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं कि आने वाले वर्षों में राज्य आत्मनिर्भर बन सके।

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