पटना , अक्टूबर 28 -- बिहार में प्रथम चरण में छह नवंबर को 121 सीटों पर होने वाले चुनाव में सीवान जिले की आठ विघानसभा सीटों में से तीन सीटों महाराजगंज, रघुनाथपुर और बड़हरिया में विभिन्न दलों ने अपने विधायकों को बेटिकट कर नये प्रत्याशियों को चुनावी दंगल में उतारा है ,वहीं सीवान सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता और मंत्री मंगल पांडेय के साथ ही पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कद्दावर नेता अवध बिहारी चौधरी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

सीवान जिले में आठ विधानसभा सीटें जीरादेई, सीवान, दरौली (सुरक्षित), दरौंधा, गोरियाकोठी ,महाराजगंज, रघुनाथपुर और बड़हरिया है।सीवान में महागठबंधन का पलड़ा भारी है। सीवान, रघुनाथपुर और बड़हरिया में राजद, महारागंजगंज में कांग्रेस, जीरादेई और दरौली (सुरक्षित) में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवदी लेनिनवादी (भाकपा माले) जबकि दरौंधा और गोरियाकोठी में भाजपा का कब्जा है।

प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जन्मभूमि और कुष्ठ रोग के उन्नमूलन के लिए शुरू हुए राजेन्द्र सेवाश्रम के लिए प्रसिद्ध जीरादेई विधानसभा क्षेत्र से भाकपा माले ने विधायक बाहुबली अमरजीत कुशवाहा पर फिर से दांव लगाया है, जबकि जदयू ने यहां भीष्म प्रताप सिंह को चुनावी समर में उतारा है। वर्ष 2020 के चुनाव में भाकपा माले के अमरजीत कुशवाहा ने जदयू की कमला सिंह को पराजित किया था। पूर्व बाहुबली सांसद मो. शहाबुद्दीन यहां से दो बार विधायक रहे थे। इस सीट पर 10 उम्मीदवार चुनावी रण में हुंकार भर रहे हैं।

सीवान विधानसभा सीट पर राजद और भाजपा के उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। सीवान विधानसभा क्षेत्र से चुनावी पिच पर राजद ने पूर्व मंत्री और विधायक अवध बिहारी चौधरी पर दांव लगाया है, जबकि भाजपा ने यहां मंत्री मंगल पांडेय को समर में उतारा है। वर्ष 2020 के चुनाव में राजद के प्रत्याशी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने भाजपा प्रत्याशी और पूर्व सासंद ओम प्रकाश यादव को मात दी थी। सीवान विधानसभा सीट पर पिछले कई दशकों से अवध बिहारी चौधरी का दबदबा रहा है। वर्ष 1985 के बाद से फरवरी 2005 तक लगातार पांच विधानसभा चुनाव में उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की है। पूर्व सासंद जनार्दन तिवारी ने चार बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। सीवान विधानसभा सीट पर 13 प्रत्याशी चुनावी दंगल में उतरे हैं।

दरौली (सु) से भाकपा-माले के विधायक सत्यदेव राम को चुनौती देने के लिये लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने विष्णु देव को उम्मीदवार बनाया है। वर्ष 2020 के चुनाव में भाकपा माले के श्री राम ने भाजपा के रामायण मांझी को पराजित किया था। इस सीट पर छह उम्मीदवार चुनावी मैदान में डटे हैं।

दरौंधा विधानसभा सीट पर भाजपा ने विधायक करणजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह को उम्मीदवार बनाया है, वहीं भाकपा माले ने पूर्व विधायक अमरनाथ यादव को प्रत्याशी बनाया है। वर्ष 2020 के चुनाव में भाजपा के करणजीत सिंह ने भाकपा-माले के प्रत्याशी अमर नाथ यादव को मात दी थी। इससे पूर्व वर्ष 2015 में पूर्व विधायक जगमातो देवी की बहू एवं जदयू प्रत्याशी कविता सिंह ने भाजपा उम्मीदवार एवं पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह के पुत्र जीतेन्द्र स्वामी को हराया था। वर्ष 2019 में हुये लोकसभा चुनाव में कविता सिंह, सीवान की सांसद बन गयी। इसके बाद रिक्त हुयी दरौंधा सीट पर हुये उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी करणजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह निर्वाचित हुये। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गये थे। इस सीट पर सात उम्मीदवार किस्मत आजमां रहे हैं।

गोरियाकोठी से भाजपा ने पूर्व विधायक भूमेन्द्र नारायण सिंह के पुत्र और वर्तमान विधायक देवेश कांत सिंह को चुनावी समर में उतारा है, जो एक बार फिर पार्टी का 'कमल' खिलाने के प्रयास में हैं, वहीं राजद ने यहां अनवारूल हक को उम्मीदवार बनाया है। वर्ष 2020 के चुनाव में राजद ने तत्कालीन विधायक सत्यदेव प्रसाद सिंह की जगह नूतन देवी को उम्मीदवार बनाया था। इस चुनाव में भाजपा के श्री सिंह ने राजद की नूतन देवी को पराजित कर दिया था। इस सीट पर सर्वाधिक चार बार इंद्रदेव प्रसाद ने जीत हासिल की है। इस सीट पर दस उम्मीदवार भाग्य आजमां रहे है।

महाराजगंज सीट से कांग्रेस ने छह बार के विधायक विजय शंकर दुबे को बेटिकट कर दिया है। महागठबंधन में सीटों के तालमेल के तहत यह सीट राजद को मिली है। राजद ने यहां विधान पार्षद विनोद जायसवाल के पुत्र विशाल कुमार जायसवाल को प्रत्याशी बनाया है। जदयू ने यहां पूर्व विधायक हेम नारायाण साह को उम्मीदवार बनाया है। वर्ष 2020 में कांग्रेस के श्री दुबे ने जदयू के तत्कालीन विधायक हेम नारायण शाह को मात दे दी थी। कद्दावर नेता उमाशंकर सिंह इस क्षेत्र का पांच बार प्रतिनिधित्व कर चुके है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा भी इस क्षेत्र का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।इस सीट पर 12 उम्मदीवार चुनावी रण में उतरे हैं।

रघुनाथपुर विधानसभा सीट से राजद के विधायक हरिशंकर यादव को बेटिकट कर पूर्व सांसद दिवंगत मोहम्मद शाहबुद्दीन के पुत्र ओसामा शहाब को उम्मीदवार बनाया है, वहीं जदयू ने यहां विकास कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है। वर्ष 2020 के चुनाव में राजद के श्री यादव ने लोजपा के मनोज कुमार सिंह को पराजित किया था। जदयू के राजेश्वर चौहान तीसरे नंबर पर रहे थे। इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज पूर्व मंत्री विजय शंकर दुबे ने सर्वाधिक चार बार जीत का सेहरा अपने नाम किया है। इस सीट पर सात उम्मीदवार अपना जोर दिखा रहे हैं।

बड़हरिया सीट पर राजद ने विधायक बच्चा पांडेय को बेटिकट कर अरूण कुमार गुप्ता को चुनावी दंगल में उतारा है। वहीं जदयू ने इंद्रदेव सिंह को प्रत्याशी बनाया है। वर्ष 2020 में राजद के पूर्व विधानपार्षद टुन्नाजी पांडेय के भाई बच्चा पांडेय ने जदयू के तत्कालीन विधायक श्याम बहादुर सिंह को शिकस्त दी थी। इस बार जदयू से बागी श्याम बहादुर सिंह निर्दलीय चुनावी समर में उतर आये हैं और मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं। श्याम बहादुर सिंह ने दो बार 2010 और 2015 में जीत दर्ज की है। इस सीट पर 11 उम्मीदवार किस्मत आजमां रहे हैं।

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