ग्वालियर , नवंबर 3 -- सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अकादमी टेकनपुर में सोमवार से दो दिवसीय "सीमा संवाद" पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन अकादमी के निदेशक एडीजी डॉ. शमशेर सिंह ने किया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य सीमा प्रबंधन में भविष्य की चुनौतियों, तकनीकी नवाचारों और रणनीतिक समाधानों पर विचार-विमर्श करना है।
बीएसएफ द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश की प्रतिष्ठित संस्थाओं जैसे मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान, गृह मंत्रालय का सीमा प्रबंधन प्रभाग, राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ), रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (सीईआरटी-इन), आर्मी वॉर कॉलेज सहित विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों ने भाग लिया। इसके साथ ही सीआरपीएफ, एनएसजी, रॉ, एनआईए और विभिन्न राज्यों की पुलिस बलों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
अपने उद्घाटन संबोधन में डॉ. शमशेर सिंह ने कहा कि देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए तकनीक, इंटेलिजेंस और इनोवेशन का समन्वय जरूरी है। उन्होंने कहा कि बदलती परिस्थितियों में सीमाओं की जटिल चुनौतियों का समाधान केवल आधुनिक तकनीक और दूरदर्शी दृष्टिकोण से ही संभव है। उन्होंने इस दिशा में शीघ्र और सटीक प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. सिंह ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, ड्रोन वारफेयर और मशीन लर्निंग जैसी नई तकनीकें सीमा प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं। उन्होंने बताया कि बीएसएफ का पुलिस टेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मद्रास, रूस्तमजी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और सेनवेस्टो जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर व्यावहारिक समाधान विकसित कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "मन की बात" कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए डॉ. सिंह ने बताया कि बीएसएफ ने अब स्वदेशी नस्ल के श्वानों को प्रशिक्षण देना शुरू किया है। उन्होंने बताया कि "मुदौल हाउंड" नस्ल की श्वान रिया ने 2024 में 116 देशों के श्वानों को पछाड़कर सर्वश्रेष्ठ का खिताब जीता, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रेरणादायक उपलब्धि है।
डॉ. सिंह ने कहा कि स्वदेशी रणनीतियां और तकनीकें सीमाई चुनौतियों का सामना करने में "गेम चेंजर" साबित होंगी और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को सशक्त बनाएंगी।
इस अवसर पर भारतीय कंपनियों द्वारा विकसित अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें सीमा सुरक्षा से जुड़ी नवीनतम स्वदेशी तकनीकों का प्रदर्शन किया गया।
यह उद्घाटन दो दिवसीय ज्ञान साझाकरण यात्रा की शुरुआत है, जिसका उद्देश्य शोध, तकनीकी अनुकूलन और नवाचार के माध्यम से भारत की सीमाओं को और अधिक सुरक्षित, स्मार्ट और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप बनाना है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित