नैनीताल , अक्टूबर 09 -- क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) में कथित गड़बड़ियों को लेकर दायर याचिकाओं को उच्च न्यायालय ने पोषणीय (मेंटेनेबल) नहीं मानते हुए गुरुवार को खारिज कर दिया है। साथ ही याचिकाकर्ताओं को सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के निर्देश दिए हैं।

सीएयू में गड़बड़ियों के मामले को डा0 बुद्धि चन्द रमोला, धीरज भंडारी व संजय गुसाईं की ओर से चुनौती दी गई। इस मामले में पांच पृथक पृथक याचिकाएं दायर की गईं। याचिकाओं में सीएयू में वित्तीय गड़बड़ी खासकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की ओर से जारी फंड में अनियमितता के साथ ही एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष धीरज भंडारी को गलत ढंग से हटाने के लोकपाल के आदेश को चुनौती दी गई।

इन सभी याचिकाओं पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की पीठ ने आज सुनवाई की। सीएयू और बीसीसीआई की ओर से कहा गया कि याचिकाएं पोषणीय नहीं हैं। उन्होंने ख़ारिज करने की मांग की गयी। कहा गया कि याचिकाकर्ताओं की ओर से जो आरोप लगाये गये हैं वह निराधार हैं।

खासकर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप गलत हैं। यह भी कहा गया कि लोकपाल के आदेश पर उपाध्यक्ष को हटाया गया है। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि स्वतंत्र आडिट में वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि हुई है। बीसीसीआई की ओर से 120 करोड़ की धनराशि जारी की गई है और सीएयू के संविधान के अनुसार ख़र्च से संबंधित ब्यौरा वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया है।

इस मामले में भोजनावकाश के बाद भी सुनवाई हुई और अंत में पीठ ने याचिकाओं को पोषणीय नहीं मानते हुए खारिज कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ताओं को सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के निर्देश दे दिए।

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