अलवर , दिसम्बर 12 -- राजस्थान में अलवर में स्थित सिलीसेढ़ झील को आर्द्रभूमि पर 'वेट कन्वेंशन' ने रामसर साइट के रूप में घोषित किया गया है।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार इसी के साथ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पास स्थित कोपरा जलाशय को भी रामसर साइट्स के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। यह जैव-विविधता, जल एवं जलवायु सुरक्षा और सतत आजीविका के लिए एक सराहनीय उपलब्धि है। सिलीसेढ़ झील देश की 96 वीं रामसर साइट बन गई है।

अलवर सांसद एवं केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जुलाई 2025 में जिंबॉब्वे में आयोजित कॉप-15 में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अलवर की प्रतिष्ठित सिलीसेढ़ झील को रामसर साइट घोषित किये जाने का प्रस्ताव रखा था।

यह झील पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग समान है, जहाँ आकाश पंखों की अद्भुत दुनिया से जीवंत हो उठता है। 100 से अधिक पक्षी प्रजातियों को देखने का अवसर और सरिस्का बाघ अभयारण्य का प्रवेश द्वार होने के कारण यह झील एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है।

इस उपलब्धि पर अलवर सांसद और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, 'मैं अलवर के लोगों, विशेषकर सिलीसेढ़ झील के आसपास रहने वाले सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई देता हूँ की अलवर की इस झील को वैश्विक पहचान मिली है। यह हमारी साझा उपलब्धि है। हम इस रामसर साइट के सम्मान के साथ सिलीसेढ़ झील के आसपास पर्यटन, जैव विविधता और जल संसाधनों के संरक्षण एवं संवर्धन, साथ ही जलवायु सुरक्षा और सतत आजीविका सुनिश्चित करने के काम को और मज़बूती दे पायेंगे।'प्राप्त जानकारी के अनुसार 1845 में महाराजा विनय सिंह द्वारा निर्मित यह ऐतिहासिक झील अलवर को पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बनाई गई थी, जिसका प्रमाण झील के चारों ओर बने जल-वाहिकाओं में मिलता है।

श्री यादव ने वेटलैंड कन्वेंशन की महासचिव डॉ. मुसोंड़ा मुंम्बा से जुलाई में हुई मुलाकात में यह विषय रखा था। उन्होंने डॉ. मुंबा के समक्ष सिलीसेढ़ झील के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को भी साझा किया था। भारत ने वेटलैंड कन्वेंशन के समक्ष अरुणाचल प्रदेश के ग्लो लेक, बिहार के गोगाबिल लेक, गुजरात के छारी ढांड वेटलैंड रिज़र्व और गोसाबरा वेटलैंड को भी रामसर स्थलों की सूची में सम्मिलित करने का प्रस्ताव रखा था।

रामसर स्थल के रूप में नामित होने से किसी आर्द्रभूमि (वेटलैंड) को अंतरराष्ट्रीय मान्यता, संरक्षण प्रयासों में वृद्धि, और सतत विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के अवसर मिलते हैं। पिछले करीब एक दशक में भारत में रामसर स्थलों की संख्या 250 प्रतिशत बढ़ी है। 91 रामसर स्थलों के साथ भारत में अब एशिया में सबसे अधिक रामसर साइट्स हैं । हाल ही में, राजस्थान के फलौदी में खीचन और उदयपुर में मेनार को रामसर स्थल घोषित किया गया था। रामसर साइट्स की यह वृद्धि भारत की आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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