सिरसा, सितंबर 27 -- हरियाणा के सिरसा के दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से स्थानीय जिला कारागार में आयोजित कार्यक्रम के उपरांत शनिवार को कारागार परिसर में कैदी बन्धुओं को ब्रह्म ज्ञान की दीक्षा प्रदान की गई।

संस्थान की ओर से आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी विज्ञानानंद ने बताया कि मानव जन्म एक अवसर है, जो समझ लेता है, वो आगे बढ़ता है। सत्य को जानने के लिए की यह मानव जीवन का उद्देश्य क्या है और जो आगे बढक़र सत्य को जान लेते है वो आगे बढ़कर समाज में प्रेम के साथ सत्य की बात बताते है क्योंकि वो जान जाते है की जो सत्य को हमने पाया है वो सत्य अगर सभी जान जाए तभी समाज में एक क्रांति आएगी, जो समाज को सकारात्मक ऊर्जा के साथ समाज को नए रोशनी प्रदान करेगी, जो सबका कल्याण होगा। क्योंकि अंतरात्मा हर व्यक्ति की पवित्र होती है, दिव्य होती है। यहां तक कि दुष्ट से दुष्ट मनुष्य की भी। आवश्यकता केवल इस बात की है कि उसके विकार ग्रस्त मन का परिचय उसके सच्चे, विशुद्ध आत्म स्वरूप से कराया जाए। यह परिचय बाहरी साधनों से संभव नहीं है। केवल ब्रह्मज्ञान की प्रदीप्त अग्नि ही व्यक्ति के हर पहलू को प्रकाशित कर सकती है। ब्रह्म ज्ञान मानव मन का दमन नहीं, अपितु सद् रूपांतरण करता है, वही मन जो पहले अधोमुखी हो व्यक्ति के विनाश का कारण होता है, वहीं मन असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय की यात्रा करते हुए ब्रह्म ज्ञान से प्रकाशित व ऊर्धवमुखी हो व्यक्ति के उत्थान का कारण बनता है, क्योंकि मानव में क्रांति और विश्व में शांति केवल ब्रह्मज्ञान द्वारा ही संभव है। ब्रह्म ज्ञान की दीक्षा प्राप्त कर समस्त कैदी बन्धुओं ने ध्यान साधना कर जहां विश्व कल्याण के पथ पर अग्रसर होने का संकल्प लिया, वहीं समाज के अच्छे नागरिक बनने की प्रतिज्ञा भी की।

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