नयी दिल्ली , अक्टूबर 07 -- मध्य प्रदेश कांग्रेस ने कफ सिरप से बच्चों की मृत्यु पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए इस संकट को भारी भ्रष्टाचार का परिणाम बताया और कहा कि सिरप माफियागीरी के इस प्रकरण की न्यायिक जांच हो और मृतक परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देकर बच्चे के इलाज में हुए खर्च की राशि परिवार को मिलनी चाहिए।
मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने बुधवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रदेश बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले में नंबर वन है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में बच्चों के खिलाफ अपराध के 2023 में 22,393 मामले सामने आए हैं। चार साल में 59 हजार से ज्यादा बच्चे लापता हो गए।
उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा में सिरप पीने से 16 बच्चों की मौत हुई है। कफ सिरप के कारण बच्चों को हो रही दिक्कत को लेकर छिंदवाड़ा के विधायक सोहन वाल्मीकि ने कई बार सरकार को चेताया लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। कई बार मुख्यमंत्री तथा जिला अधिकारी को पत्र लिखे मगर कोई नहीं जागा। सवाल है कि आखिर पत्र लिखने के बाद भी सरकार क्यों नहीं जागी। जब बच्चे मरने लगे और मामला ज्यादा बढ़ा तो एक बच्ची का शव कब्र से निकालकर पोस्टमॉर्टम कराया गया।
कांग्रेस नेता ने कहा कि आश्चर्य की बात यह है कि एक छोटी सी बीमारी में भी टेस्ट कराया जाता है तो प्रदेश में बच्चों की किडनी फेल होने की रिपोर्ट आती है। दवा कंपनी ने परासिया जैसे आदिवासी क्षेत्र को जानबूझकर अपने कारोबार के लिए चुना है और वहां के बच्चों के लिए काल बनकर आई है। कमाल की बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार मृत बच्चों के परिजनों को मुआवजे के तौर पर सिर्फ चार लाख रुपए दे रही है। सवाल है कि क्या एक मां की गोद उजाड़ने की कीमत सिर्फ चार लाख रुपए है।
उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में बच्चे मर रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री मोहन यादव कांजीरंगा पार्क घूमने गये हैं और वहां हाथी देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री में निर्णय लेने की क्षमता नहीं है। कोई भी समस्या होती है तो वह तुरंत हेलिकॉप्टर से दिल्ली भागते हैं, क्योंकि सारी बड़ी डील वहीं होती है। तमिलनाडु सरकार ने जब इस सिरप को ब्लैकलिस्ट तो तब जाकर मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरकारें नींद से जागीं। उन्हें आखिर बच्चों की परवाह क्यों नहीं है।
भाजपा सरकार पर कमीशन लेने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी कंपनी अगर प्रदेश में अपना माल बेचना चाहती है, तो उसमें सरकार की सहभागिता अवश्य होती है और इसमें बाकायदा कमीशन तय किया जाता है। सरकार ने तो चार प्रतिशत तक कमीशन लिया है। मध्य प्रदेश अब कफ सिरप माफियागीरी का अड्डा बन गया है और शराब के साथ कफ सिरप का व्यापार भी तेज़ी से बढ़ रहा है और बच्चों की जान ली जा रही है।
कांग्रेस नेता ने सरकार से इस संवेदनशील मुद्दे पर जल्द से जल्द कड़े नियम बनाने की मांग की और आरोप राज्य के मुख्यमंत्री में निर्णय लेने की क्षमता नहीं है, उनके हर फैसले दिल्ली से तय होते हैं। प्रदेश के अस्पताल में नवजात बच्चों को चूहों ने खा लिया, जिसमें एक बच्चे की मृत्यु हो गई, लेकिन भाजपा सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। केंद्र सरकार ने तीन अक्टूबर को कफ सिरप को लेकर एडवाइजरी जारी की थी इसके बावजूद भी मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार नहीं जागी।
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