रांची, 06अक्टूबर (वार्ता) झारखंड प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी सतीश पौल मुजनी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि श्री मरांडी का बयान न सिर्फ भड़काऊ है, बल्कि तथ्यों से कोसों दूर है।
श्री मुजनी ने आज यहां कहा कि इंडिया गठबंधन सरकार पर उंगली उठाने से पहले भाजपा को अपने कार्यकाल का रिकॉर्ड देखना चाहिए।
चर्च की सुरक्षा पर राजनीति सही नहीं है।सिमडेगा जिला प्रशासन ने चर्च की सुरक्षा को लेकर जो बैठक की, वह संवैधानिक और आवश्यक कदम है। किसी भी धार्मिक स्थल - चाहे चर्च हो, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या सरना-मसना स्थल - की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन का दायित्व है। इसे "मतांतरण संरक्षण" कहना ईसाई समुदाय के प्रति संदेह पैदा करने और नफरत फैलाने की सोची-समझी कोशिश है।
उन्होंने कहा कि हमारा रुख स्पष्ट है चर्च की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी सरना, मसना, हड़गड़ी, मांझी थान, मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों की। सुरक्षा के सवाल को सांप्रदायिक रंग देना अत्यंत निंदनीय है।इंडिया गठबंधन सरकार हर धार्मिक स्थल की सुरक्षा के पक्ष में है। भाजपा इसे तोड़-मरोड़कर न पेश करे।
वहीं श्री मुजनी ने कहा कि भाजपा शासन में झारखंड में धार्मिक स्थलों पर हमले, अतिक्रमण और विवाद लगातार हुए, लेकिन न कोई संवैधानिक पहल हुई, न सुरक्षा की नीति बनी। सिमडेगा, गुमला, खूंटी और लोहरदगा जिलों में 500 से अधिक सरना-मसना और हड़गड़ी स्थलों पर अतिक्रमण, मांझी थान, जाहिर थान और पारंपरिक पूजा स्थलों पर 40 से अधिक विवाद, कोई सर्वे नहीं।
रांची, धनबाद, चाईबासा और गिरिडीह में मंदिरों पर 50 से अधिक हमले/मूर्ति क्षति की घटनाएं। मस्जिदों और गुरुद्वारों के आसपास 20 से अधिक तनावपूर्ण घटनाएं, प्रशासन मौन रही। भाजपा शासन में एक भी संयुक्त सुरक्षा समीक्षा बैठक नहीं। सरना धर्म की मान्यता पर कैबिनेट चर्चा शून्य रही।
वहीं श्री मुजनी ने कहा कि क्या बाबूलाल मरांडी बता सकते हैं कि इन घटनाओं पर राज्यपाल, डीजीपी, डीसी-एसपी स्तर पर एक भी बैठक कब बुलाई गई थी?अब धार्मिक ध्रुवीकरण नहीं, समान सुरक्षा की नीति चाहिए।
श्री मुजनी ने कहा कि हम यह मांग करते हैं कि किसी भी समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान पर तत्काल कार्रवाई हो। भाजपा पहले अपना रिकॉर्ड बताए, फिर उपदेश दे। इंडिया गठबंधन सरकार पर हमला करने से पहले बाबूलाल मरांडी यह बताए कि उनके शासनकाल में कितने सरना स्थलों की घेराबंदी हुई? मांझी थान और जाहिर थान की सुरक्षा पर कितनी बैठकें हुईं? मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों की सुरक्षा के लिए क्या एक भी नीति बनी? अतिक्रमण हटाने पर कितनी कार्रवाई हुई? सरना धर्म मान्यता पर कितनी बार चर्चा हुई? जनता नफरत नहीं, न्याय और सम्मान चाहती है।
चर्च हो या सरना स्थल - हर धार्मिक आस्था का सम्मान और संरक्षण जरूरी है। भाजपा इसे धर्म युद्ध में न बदलकर अपना जवाब पहले अपने कार्यकाल पर दे।
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