बेंगलुरु , नवंबर 10 -- कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने सोमवार को राज्य में मानव-बाघ और मानव-हाथी संघर्ष की बढ़ती घटनाओं तथा इस संकट से निपटने के लिए तत्काल, विज्ञान-आधारित और संवेदनशील उपायों की आवश्यकता पर बल दिया।

मुख्यमंत्री ने आज यहां विस्तृत समीक्षा बैठक में इस बात का वैज्ञानिक स्पष्टीकरण मांगा कि बाघ और हाथी जंगलों से क्यों भटक रहे हैं । उन्होंने अधिकारियों को साक्ष्य-आधारित और निवारक उपाय अपनाने के निर्देश दिए।

उन्होंने सभी वन जलस्रोतों को भर दिए जाने के साथ ही लैंटाना खरपतवार को हटाने और वन क्षेत्रों में पर्याप्त चारा उगाए जाने के निर्देश दिए ताकि वन्यजीवों का मानव बस्तियों की ओर आवागमन कम से कम हो। उन्होंने हाथियों और बाघों की आवाजाही पर निरंतर निगरानी की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया और घोषणा की कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों पर चर्चा के लिए जल्द ही एक अलग बैठक बुलाई जाएगी।

अधिकारियों ने बैठक में बताया कि एक हेल्पलाइन पहले ही शुरू की जा चुकी है और एक कमांड सेंटर स्थापित करने का काम चल रहा है।

पिछले साढ़े पांच वर्षों में कर्नाटक ने 82 बाघों को खोया है, जिनमें से 14 की मृत्यु 2024 में हुई और नौ की मृत्यु 2025 में हुई। इन मौतों में जून में माले महादेश्वर हिल्स वन्यजीव अभयारण्य (एमएम हिल्स) में हुई कम से कम एक घटना ने विशेष ध्यान आकर्षित किया - एक बाघिन और उसके चार शावक मृत पाए गए, जिनमें ज़हर दिए जाने का संदेह था। इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

वन मंत्री ने पिछले पांच वर्षों में हुई सभी बाघों की मौतों का व्यापक ऑडिट करने का आदेश दिया है, जिसमें यह विवरण मांगा गया है कि मृत्यु प्राकृतिक थी या अप्राकृतिक, क्या जांच की गई थी, और क्या कार्रवाई की गई थी।

वन अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्टीकरण मांगा कि 7,000 में से 5,900 आवेदन क्यों खारिज कर दिए गए। ज़िला अधिकारियों ने बताया कि 2019 और 2020 के बीच किए गए आवेदनों को कई मामलों में अस्वीकार कर दिया गया था, और ऐसे आवेदन अब पुनर्परीक्षण के लिए स्वीकार किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि अधिकारी आदिवासी और वनवासी समुदायों की ज़रूरतों को पूरा करने में विवेक और करुणा के साथ काम करें। उन्होंने आदिवासी बस्तियों में पेयजल और बिजली की पर्याप्तता के बारे में पूछताछ की और ऐसे मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर हल किए जाने के निर्देश दिए।

बैठक में विधायक अनिल चिक्कमडू ने एच.डी. कोटे में सहायक वन संरक्षकों (एसीएफ) और रेंज वन अधिकारियों (आरएफओ) के बीच समन्वय की कमी पर चिंता जताई, जिससे क्षेत्र स्तर पर समस्याएं और बिगड़ रही हैं। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि किसी भी लापरवाही या कर्तव्य की उपेक्षा से मानव जीवन की हानि होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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