गुवाहाटी , नवंबर 03 -- केंद्रीय संचार एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ( आईआईटी ) गुवाहाटी में पूर्वोत्तर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (नेस्ट) क्लस्टर का उद्घाटन किया और पूरे असम के लिए 635 करोड़ रुपये की परिवर्तनकारी विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी।
कार्यक्रम में असम के वरिष्ठ अधिकारियों, शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों और वैज्ञानिक एवं उद्यमी समाज के प्रतिनिधियों के बीच श्री सिंधिया ने असम को "उभरते पूर्वोत्तर की धड़कन" बताया। उन्होंने कहा कि यह राज्य लंबे समय से भारत के पूर्वी पुनर्जागरण का प्रवेश द्वार रहा है और अब विकासशील पूर्वोत्तर के नवोन्मेष एवं संयोजकता के केंद्र के रूप में उभर रहा है।इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री ने नेस्ट क्लस्टर प्रतीक चिह्न का अनावरण भी किया। इस प्रतीक चिह्न को दीर्घकालिक खिलौना निर्माण में प्रशिक्षित ग्रामीण महिलाओं द्वारा खूबसूरती से डिजाइन किया गया है, जो समावेशिता में निहित नवोन्मेष की भावना और सशक्त नारी शक्ति को दर्शाता है।
श्री सिंधिया ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में सरकार की 10 प्रतिशत सकल बजटीय सहायता नीति के माध्यम से एक 6.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है जिससे विकास, उद्यमशीलता और सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि 'एक्ट ईस्ट नीति' ने नए व्यापार क्षेत्र खोले हैं और बांग्लादेश के लिए नए रेल और सड़क मार्ग के माध्यम से कोलकाता और अगरतला के बीच यात्रा का समय 31 घंटे से घटकर मात्र 10 घंटे रह गया है।
श्री सिंधिया ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र जिसे कभी हाशिये पर समझा जाता था अब भारत की समृद्धि का पूर्वी द्वार बन गया है। उन्होंने असम के "क्षोभे क्षोकोलोर लोई थोका क्षोमाज"-एक ऐसा समाज जो सभी को एक साथ लेकर चलता है, के सिद्धांत की सराहना करते हुये कहा कि आज शुरू की गई प्रत्येक परियोजना इस एकता को और मजबूत करेगी।
श्री सिंधिया ने माँ कामाख्या की कृपा का आह्वान करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि असम शिक्षा, नवोन्मेष और उद्यम के माध्यम से 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए पूर्वोत्तर के अभियान का नेतृत्व करता रहेगा।
श्री सिंधिया ने कार्यक्रम मंच से कुल 635 करोड़ रूपए की परियोजनाओं की आधारशिला रखी जिनका उद्देश्य असम में विकास, कनेक्टिविटी और अवसरों को बढ़ावा देना है। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार इन परियोजनाओं से दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में इसकी भूमिका और मजबूत होगी।
इनमें से कुछ प्रमुख परियोजनाओं में 5 नए माध्यमिक विद्यालय भवनों में मूलभूत सुविधाओं के विकास की 455 करोड़ रुपये की परियेाजना, छायागांव-उकिअम सड़क के उन्नयन की 102.69 करोड़ रुपये की परियोजना, सिलोनीजन-धनसिरी पार घाट पर आरसीसी पुल के निर्माण की 20.59 करोड़ रुपये की परियोजना, रामफलबिल (कोकराझार) में औद्योगिक एस्टेट के विकास की 14.40 करोड़ रुपये की परियोजना और लखीबाजार (बक्सा) में औद्योगिक एस्टेट का विकास की 18.40 करोड़ रुपये की परियोजना भी शामिल है।
श्री सिंधिया ने कहा, "रखी गयी प्रत्येक ईंट और बनायी गयी प्रत्येक कक्षा महत्वाकांक्षा की सेवा में किया गया एक वादा है।"आईआईटी गुवाहाटी में 22.98 करोड़ रूपए की लागत से स्थापित नेस्ट क्लस्टर के बारे में मंत्रालय का कहना है कि इससे पूर्वोत्तर नवोन्मेष पारिस्थितिकी तंत्र के केंद्र के रूप में कार्य करेगा और स्थानीय ज्ञान को वैश्विक समाधानों में परिवर्तित करेगा। यह चार क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा जिनमें बुनियादी नवोन्मेष, सेमीकंडक्टर एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), बांस-आधारित प्रौद्योगिकियाँ और जैविक तरीके से सड़ाने गलाने योग्य प्लास्टिक क्षेत्र की प्रौद्योगिकी से जुड़े कार्य शामिल होंगे।
यह केंद्र मंत्रालय के नई-स्पार्क्स और अष्टलक्ष्मी दर्शन जैसे कार्यक्रमों का पूरक होगा, जिसके माध्यम से पूरे भारत से 3,200 छात्र पूर्वोत्तर का दौरा करेंगे, जबकि 800 पूर्वोत्तर छात्र इसरो में वैज्ञानिक अनुभव प्राप्त करने के लिए दौरे करेंगे।
श्री सिंधिया ने आईआईटी गुवाहाटी में प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और छात्र-छात्राओं शोधकर्ताओं के साथ बातचीत की, जिन्होंने सुलभ स्वास्थ्य सेवा के लिए 6जी संचार, बायोडिग्रेडेबल पॉलिमर, बांस टिश्यू कल्चर और लो फील्ड एमआरआई प्रणालियों में नवोन्मेष का प्रदर्शन किया था।
बायोडिग्रेडेबल पॉलीमर (जैविक तरीके से सड़ाने गलाने योग्य प्लास्टिक) की तकनीक पर चल रही परियोजना की समीक्षा करते हुए श्री सिंधिया ने कहा, " आप इस क्षेत्र में आगे बढ़ें, इसी का भविष्य है," उन्होंने छात्रों की वैज्ञानिक जिज्ञासा और दीर्घकालिक नवोन्मेष की भावना की सराहना की। उन्होंने कामरूप जिले की 30 ग्रामीण महिलाओं को 4.0 इंडस्ट्री तकनीकों का उपयोग करके बायोडिग्रेडेबल खिलौना निर्माण का प्रशिक्षण पूरा करने पर सम्मानित किया । अब उन्हें अपने स्वयं के सूक्ष्म उद्यम स्थापित करने के लिए निरंतर सहायता मिलेगी।
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