नयी दिल्ली , नवंबर 27 -- साइप्रस के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों पक्षों ने लोकतांत्रिक सहयोग को मजबूत करने और संसदीय कूटनीति के दायरे का विस्तार करने के लिए भारत और साइप्रस की साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
यह प्रतिनिधिमंडल साइप्रस की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष अनीता दिमेत्रियु के नेतृत्व में भारत की यात्रा पर आया है।
इस अवसर पर श्री बिरला ने कहा कि भारत और साइप्रस की गहरी दोस्ती साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, आपसी विश्वास और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर घनिष्ठ सहयोग पर आधारित है। उन्होंने याद दिलाया कि साइप्रस ने इस वर्ष की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III प्रदान किया था-जो भारत-साइप्रस संबंधों की निकटता और सद्भावना की पुष्टि करता है।
श्री बिरला ने कहा कि भारत और साइप्रस जीवंत और विकसित संसदीय लोकतंत्र की विरासत साझा करते हैं, जो परस्पर सहयोग के लिए एक मजबूत नींव बनाती है। उन्होंने कहा कि साइप्रस संसदीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा ने इस साझेदारी में नई ऊर्जा जोड़ी है और शासन, प्रौद्योगिकी-संचालित विधायी कार्यप्रणाली और संस्थागत मजबूती में सहयोग के नए रास्ते खोले है।
साइप्रस प्रतिनिधिमंडल ने वैश्विक मंच पर भारत के मार्गदर्शन और समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया तथा आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता के भारत के रुख का पूरी तरह से समर्थन किया। उन्होंने साइप्रस में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। दोनों पक्षों ने संसदीय प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, और दोनों देशों के लोगों के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।
बैठक के दौरान, लोक सभा अध्यक्ष ने प्रतिनिधिमंडल को भारतीय संसद के कामकाज, संसदीय समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व डिजिटल संसद प्लेटफॉर्म सहित आधुनिक तकनीकों को एकीकृत करने के भारत के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन नवाचारों ने संसदीय प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, दक्षता और बहुभाषी पहुंच में काफी सुधार किया है।
हाल ही में 26 नवंबर को मनाए गए संविधान दिवस का उल्लेख करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि भारत का संविधान सामाजिक न्याय, आर्थिक सशक्तीकरण और समावेशी राष्ट्रीय विकास को मजबूत करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करता रहा है। उन्होंने आगे कहा कि संवैधानिक मूल्य भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं का मार्गदर्शन करते हैं, जो प्रभावी शासन और सभी नागरिकों के अधिकारों और आकांक्षाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
साइप्रस प्रतिनिमंडल के सदस्यों ने भारत के नए संसद भवन में निहित स्थापत्य कला की प्रशंसा की।
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