नयी दिल्ली , नवंबर 10 -- प्रसिद्ध शायर, गीतकार और पटकथा लेखक पद्म भूषण जावेद अख्तर ने सोमवार को कहा कि गद्यात्मक कविता एक छलावा है।
उन्होंने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में भारत के पहले क्यूरेटेड संगीत शोकेस फेस्टिवल और वैश्विक सम्मेलन 'साउंडस्केप्स ऑफ़ इंडिया' के दूसरे सीजन के शुरुआत के अवसर पर यह बात कही।
श्री अख्तर ने कहा कि कविता भाषा का संगीत है, और संगीत ध्वनि की कविता है," उन्होंने कविता की लय और संगीत के सामंजस्य के बीच समानता स्थापित करते हुए इसे पाइथागोरस के अनुपात और संतुलन के दर्शन से भी जोड़ा। श्री अख़्तर ने कहा कि कविता और संगीत दोनों ही पूर्ण छंद, लय और अनुनाद पर आधारित संरचनाएं हैं, और जब ये दोनों एक साथ आते हैं, तो "यह एक अद्भुत संयोजन बन जाता है, जो भाषाई या सांस्कृतिक सीमाओं से परे लोगों के हृदय तक पहुँचता है।"श्री अख़्तर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रोज़ पोएट्री (गद्यात्मक कविता) 'एक छलावा' और 'धोखा है। उनके अनुसार, गद्य कविता में लय और संगीतात्मकता का अभाव उसे कविता के सार से दूर कर देता है। उन्होंने कहा, "कविता लिखना कठोर अभ्यास मांगता है। एक कवि को कविता पढ़नी चाहिए और यह समझना आवश्यक है कि कविता में शब्दों का अर्थ केवल शब्दकोशीय नहीं होता। शब्द अपने संबंध, प्रभाव और पहचान बनाते हैं, और यह प्रक्रिया अवचेतन स्तर पर होती है। यही असली सृजन का आधार है।
श्री अख़्तर ने भारत को "संगीत का देश" बताया, और इसके विविध व समृद्ध संगीत परंपराओं की चर्चा की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, पूर्वोत्तर भारत सहित भारत के विभिन्न प्रांतों में संगीत के संदर्भ में बहुत संभावनाएं हैं, जिन्हें तलाशा जाना बाकी है। साउंडस्केप्स ऑफ़ इंडिया के बारे में उन्होंने बताया कि यह कोई टैलेंट हंट नहीं, बल्कि प्रतिभा का शोकेस है। यह एक प्रयास है रचनात्मकता और बाज़ार को जोड़ने का।
आईएनजीसीए में 10-12 सवंबर तक चलने वाले इस तीन दिवसीय फेस्टिवल का आयोजन इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड (आईपीआरएस) ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के समर्थन से कर रहा है। इसमें आईपीआरएस का सहयोग म्यूजीकनेक्ट इंडिया ने किया।
इससे पहले श्री अख्तर ने गीत-लेखन पर आयोजित एक विशेष सत्र को भी सम्बोधित किया। उन्होंने द आर्ट ऑफ़ सॉन्ग राइटिंग' शीर्षक से आयोजित इस सत्र में कविता, संगीत और सृजनात्मकता के गहरे संबंध पर विस्तार से चर्चा की।
इस अवसर पर आईपीआरएस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राकेश निगम और प्रोफेशनल स्टोरीटेलर व स्क्रीनराइटर मयूर पुरी ने भी सम्बोधित किया।
तीन दिनों के इस फेस्टिवल में 100 से अधिक कलाकार और 24 बैंड शामिल परफॉर्म करेंगे। इस फेस्टिवल में दो अंतरराष्ट्रीय कलाकार और 15 से अधिक ग्लोबल फेस्टिवल डायरेक्टर, क्यूरेटर, पॉलिसी मेकर और इंडस्ट्री के लीडर शामिल हो रहे हैं।
कार्यक्रम में कनाडा, मिस्र, एस्टोनिया, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, नीदरलैंड, पोलैंड, पुर्तगाल, दक्षिण कोरिया, स्पेन और थाईलैंड सहित 15 देशों से आए फेस्टिवल डायरेक्टर, बुकिंग एजेंट और प्रमोटर शामिल होंगे।
पिछले वर्ष के संस्करण ने कई उभरते भारतीय बैंडों के लिए नए रास्ते खोले। उदाहरण के तौर पर, 'बाउल मोन' नामक बंगाली लोक-संगीत तिकड़ी ने इसी मंच के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई। इसी प्रकार, दिल्ली स्थित फोक और क्लासिकल-फ़्यूज़न परकशन ग्रुप 'ताल फ्राय' ने इस मंच से आगे बढ़ते हुए कुचिंग (मलेशिया) में आयोजित प्रतिष्ठित 'रेनफॉरेस्ट वर्ल्ड म्यूज़िक फेस्टिवल' में अपनी प्रस्तुति दी।
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