नयी दिल्ली , नवंबर 23 -- दिल्ली में आज भारतीय बैडमिंटन के लिए एक यादगार दिन रहा, जब साइना नेहवाल और पीटर गेड ने सीरीफोर्ट डीडीए स्क्वैश एंड बैडमिंटन कॉम्प्लेक्स में आयोजित "द लेजेंड्स' विजन - लेगेसी टूर इंडिया" की शुरुआत की। यह दिन विरासत, युवा ऊर्जा और उद्देश्य का ऐसा संगम लेकर आया, जिसने दिखाया कि जब महान खिलाड़ी अपने नन्हे चाहने वालों के साथ खड़े होते हैं, तो खेल की ताकत कई गुना बढ़ जाती है।
आठ साल बाद भारत लौटे 'लेजेंड्स' विजन' का दिल्ली चैप्टर बेहद उत्साह के साथ शुरू हुआ। स्टेडियम शुरुआत से ही दर्शकों से भर गया था-जूनियर खिलाड़ी अपनी क्लब जर्सी में पहुंचे और परिवारों ने इसे एक उत्सव की तरह मनाया। जैसे ही साइना और गेड कोर्ट पर उतरे, चारों ओर गूंजती तालियों ने साफ कर दिया कि शहर इस पल का लंबे समय से इंतज़ार कर रहा था।
एम्बेसडर्स परुपल्ली कश्यप, आनंद पवार, अपर्णा पॉपट और सायली गोखले ने भी लेजेंड्स के साथ बच्चों के साथ मज़ेदार सत्र खेले, जिसमें लेजेंड्स और एम्बेसडर्स ने युवा खिलाड़ियों के साथ मिलकर कई दिलचस्प मुकाबले खेले।
दिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था ' ए रैकेट सेकंड लाइफ' का भारत में शुभारंभ। योनैक्स द्वारा लगाए गए दान बॉक्स में जब बच्चे और प्रशंसक अपने इस्तेमाल किए हुए रैकेट जमा करने लगे, तो इस पहल की असल भावना स्पष्ट दिखी-एक रैकेट, जो किसी ने कभी प्यार से इस्तेमाल किया, अब किसी ऐसे बच्चे के हाथों में जाएगा जिसे खेलने का मौका नहीं मिल पाता।
ऑन-कोर्ट सत्र पूरे कार्यक्रम की धड़कन थे। जूनियर खिलाड़ियों को साइना और गेड के साथ रैली खेलने का दुर्लभ अवसर मिला। लेजेंड्स ने उनके शॉट सुधारे, ग्रिप ठीक करवाई और कई बार सिर्फ बच्चों को उस अनुभव का आनंद लेने दिया-यह एक ऐसी मास्टरक्लास थी, जिसे बच्चे जिंदगीभर याद रखेंगे।
साइना नेहवाल ने कहा, ''ए रैकेट सेकंड लाइफ' को भारत लाना मेरे लिए बेहद खास है। इस देश ने मुझे मेरा सफर दिया-कोच, प्रशंसक, सपोर्ट सिस्टम, सबकुछ। इसलिए अब जब मैं कुछ लौटाने की स्थिति में हूं, तो यह दिल से महसूस होता है। इस पहल की खूबसूरती यह है कि यह सिर्फ प्रोफेशनल या बड़े अकैडमियों के लिए नहीं है, बल्कि हर किसी के लिए है। हर फैन, हर खिलाड़ी सिर्फ एक रैकेट दान करके किसी बच्चे की जिंदगी बदल सकता है। मेरा संदेश है-आपका रैकेट किसी का भविष्य बन सकता है। इस कहानी का हिस्सा बनें।"पीटर गेड ने कहा, "शुरू से ही 'द लेजेंड्स' विजन' का मकसद था दुनिया को बैडमिंटन को नए नजरिये से देखने के लिए प्रेरित करना-सिर्फ मेडल और ट्रॉफियों से आगे बढ़कर। पिछले दस सालों में जागरूकता तो बढ़ी है, लेकिन असली मायने तब हैं जब जागरूकता कार्रवाई में बदलती है।
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