लखनऊ , अक्टूबर 08 -- सहारा शहर पर लखनऊ नगर निगम की कार्रवाई के खिलाफ सहारा इंडिया कॉमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की दाखिल याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में बुधवार को सुनवाई हुई।
इस दौरान लखनऊ पीठ ने मामले में विचार की जरूरत जताते हुये राज्य सरकार और नगर निगम से 30 अक्टूबर तक मामले में जवाब तलब किया है। साथ ही उच्च न्यायालय ने सहारा सिटी के भीतर मौजूद मवेशियों को कान्हा उपवन ले जाने और समुचित देखभाल करने का आदेश दिया है। सहारा ने नगर निगम द्वारा सहारा शहर में लीज पर दी गई जमीनों और उन पर बनी संपत्तियों में हस्तक्षेप को चुनौती दी है।
न्यायधीश संगीता चंद्रा और न्यायधीश अमिताभ कुमार राय की खंडपीठ के समक्ष सहारा की याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। याचिका में नगर निगम द्वारा 8 और 11 सितंबर को जारी किए गए आदेशों को रद्द करने का आग्रह किया गया है। सहारा ने याचिका में कहा है कि इस मामले में सिविल कोर्ट में पहले से ही स्थगन आदेश लागू है। इसके अलावा, आर्बिट्रेशन की कार्यवाही में भी नगर निगम को सहारा के पक्ष में लीज एग्रीमेंट बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन नगर निगम ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। कंपनी का यह भी आरोप है कि कार्रवाई करने से पहले उसे सुनवाई का उचित अवसर नहीं दिया गया। याचिका के अनुसार, नगर निगम ने 22 अक्टूबर 1994 और 23 जून 1995 को गोमती नगर में सहारा को जमीन पट्टे पर दी थी।
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