लखनऊ , अक्टूबर 15 -- उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त भानु चंद्र गोस्वामी ने कहा कि सर्पदंश से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका जागरूकता है और ऐसी परिस्थिति में समय पर इलाज मिलने पर पीड़ित की जान निश्चित रुप से बचाई जा सकती है।

उन्होंने बताया कि सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी स्नेक वेनम की रियल टाइम मॉनिटरिंग और लाइव ट्रैकिंग की सुविधा राहत आयुक्त कार्यालय के स्नेक बाइट मिटिगेशन पोर्टल पर उपलब्ध है। इसके साथ ही हेल्पलाइन 1070 के माध्यम से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र और एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता की जानकारी भी प्राप्त की जा सकती है।

राहत आयुक्त कार्यालय ने बुधवार को योजना भवन के वैचारिकी सभागार में सर्पदंश न्यूनीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत 25 जिलों के मास्टर ट्रेनर युवा आपदा मित्रों के लिए एकदिवसीय नॉन-क्लिनिकल कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें सर्पदंश से बचाव, प्राथमिक उपचार और पीड़ित को तत्काल अस्पताल तक पहुंचाने की प्रक्रिया के बारे में प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यशाला में रणवीर प्रसाद ने कहा कि आपदा मित्रों को साहसी बनकर समाज में जागरूकता फैलानी होगी। उन्होंने कहा कि "सर्पदंश पीड़ित व्यक्ति को उपचार से पहले संवेदना और विश्वास की आवश्यकता होती है। जब पीड़ित को भरोसा होता है कि उसे सही मदद मिलेगी, तब उसका मनोबल बढ़ता है और बचाव की संभावना अधिक होती है।" उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपने क्षेत्रों में जाकर सांप काटने से जुड़ी भ्रांतियों, झाड़-फूंक और तांत्रिक उपायों के भ्रम को दूर करें और लोगों को सही चिकित्सा की ओर प्रेरित करें।

डॉ. पंकज सक्सेना, स्नेक बाइट प्रोग्राम के नोडल अधिकारी, ने सांपों की प्रजातियों और उनके विष के प्रकारों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में लगभग 38 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं, जिनमें 18 विषैले और 20 गैर-विषैले हैं। उन्होंने कहा कि अक्सर लोग घबराहट में हार्ट अटैक से मर जाते हैं, न कि सांप के जहर से। इसलिए सांप काटने पर शांत रहें और तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचें।

डॉ. विपिन वर्मा ने बताया कि कोबरा, करैत, रसेल्स वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर सबसे जहरीले सांप हैं। उन्होंने कहा कि किसान अक्सर खेतों में नंगे पैर काम करते हैं, जिससे सांप के काटने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं डॉ. निशांत भारद्वाज ने प्राथमिक उपचार की जानकारी देते हुए कहा कि "पीड़ित को शांत रखें, प्रभावित अंग को हृदय स्तर से नीचे रखें और किसी भी कसने वाली वस्तु को तुरंत हटा दें।"किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की प्रो. शैफाली गौतम और डॉ. नीलकमल मिश्रा ने कहा कि "सांप काटे तो घबराएं नहीं, क्योंकि घबराने से जहर नर्वस सिस्टम में तेजी से फैलता है।" उन्होंने उपस्थित युवा आपदा मित्रों को सीपीआर और एम्बूबैग के प्रयोग का डेमो देते हुए जीवन रक्षक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया।

इस कार्यशाला में अमरोहा, बहराइच, बलरामपुर, बरेली, मेरठ, प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ समेत 25 जिलों के युवा आपदा मित्रों ने भाग लिया।

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