जयपुर , दिसंबर 21 -- राजस्थान की राजधानी जयपुर में राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् (राजीविका) के तत्वावधान में आयोजित सरस राजसखी राष्ट्रीय मेला-2025 देश की विविध सांस्कृतिक, शिल्प और पारंपरिक विरासत का एक मंच बनकर उभरने लगा है।
जवाहर कला केन्द्र के शिल्पग्राम में आयोजित इस मेले में देशभर से आए शिल्पकारों की उत्कृष्ट हस्तकलाओं के साथ स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ी महिलाओं द्वारा तैयार किए गए शुद्ध, प्राकृतिक एवं ऑर्गेनिक उत्पाद विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए है और रविवार को छुट्टी का दिन होने से मेले में जयपुरवासियों का भारी उत्साह नजर आया।
रंग-बिरंगे टेक्सटाइल उत्पादों के साथ स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों के स्टॉल्स पर भी दिन भर लोगों की भीड़ नजर आई और यहां आने वाले लोगों ने न केवल उत्पादों की सराहना की बल्कि उनकी पारंपरिक और प्राकृतिक निर्माण प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी ली।
उत्तराखंड से आए स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों ने खास ध्यान आकर्षित किया। इनमें कैमोमाइल चाय, कच्चा शहद, बुरांश की चाय, हर्बल चाय, सेब, गुड़, घी से बनी पारंपरिक मिठाइयाँ और बाजरा आधारित विशेष चाय शामिल रहीं। ये सभी उत्पाद बिना किसी रासायनिक प्रक्रिया के पूरी तरह प्राकृतिक सामग्री से तैयार किए गए हैं।
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