सरगुजा/रायपुर, दिसंबर 08 -- छत्तीसगढ़ में अडानी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ सोमवार को ग्राम साल्ही (जिला सरगुजा) के ग्रामीणों ने दो घंटे तक जमकर विरोध प्रदर्शन किया, आंदोलनकारियों ने दो घंटे तक कोयला खनन कार्य को बाधित रखा था, खनन कंपनी के आश्वासन के बाद आंदोलनकारी खनन क्षेत्र से लौटे हैं। आंदोलनकारियों के दो आरोप हैं,पहली - फर्जी ग्राम सभा के आधार पर खनन कार्य किया जा रहा है और दूसरी - मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है। इन दो मुख्य मांगों के साथ ग्रामीणों ने सोमवार को खनन कार्य को बाधित किया था।
अडानी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों के आश्वासन के बाद आज का प्रदर्शन प्रभावित ग्रामीणों ने समाप्त किया है। ग्राम साल्ही जिला सरगुजा, छत्तीसगढ़ में उप-मुख्यमंत्री रहे टी एस सिंहदेव का विधानसभा क्षेत्र रहा है, सिंहदेव इस सीट दो- तीन बार विधायक चुने गए हैं। ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन के बाद टी.एस.सिंहदेव ने यूनीवार्ता को बताया कि जब बड़ी कंपनियों के हितों की बात होती है तो स्थानीय लोगों के हक,अधिकार सब नगण्य कर दिए जाते हैं। सरगुजा के लोगों को जितना मैं जानता हूँ उस हिसाब से यहां के लोग झूठ नहीं बोलते हैं, "जल, जंगल जमीन पर हमारा हक है" ये वो कहते रहे हैं, फर्जी ग्राम सभा की के तथ्य पर उनका कहना है कि मृत लोगों के नाम और दस्तखत हैं, ग्रामीणों के इस तथ्य को आरोप कह दिया जाता है, ग्रामीणों की बातों की जांच आखिर, शासन के ही लोग करेंगे, खनन कंपनी के खिलाफ ग्रामीणों ने उच्च न्यायालय तक लड़ाई की है, रूलिंग उनके पक्ष में नहीं आया था,इसी आधार पर जिला प्रशासन ग्रामीणों के हितों की अनदेखी कर रहा है।
ग्रामीणों की लंबी लड़ाई के बारे में वार्ता को टी.एस.सिंहदेव ने वार्ता को बताया कि दरअसल दस राज्यों में पेसा कानूनों पर बात होती है कानून में सहमति और सलाह ये दो शब्द हैं इन दो शब्दों के आधार पर शासन,कम्पनियों के हितों के लिए काम करती है, शासन के लोग "सलाह" ली गई है के तथ्य के साथ स्थानीय लोगों के हितों की अनदेखी करते हैं।
अडानी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ ही ग्रामीणों का आरोप है कि सरगुजा कलेक्टर उनकी शिकायतों, मांगों आदि की अनदेखी करते हैं। इस बारे में पूर्व उप मुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव ने वार्ता को बताया किसरकार और शासन जनता के टैक्स के रुपयों से ही चलता है, जनता के हितों की रक्षा करना सरकार और शासन दोनों का ही काम है,यदि कलेक्टर ग्रामीणों की बात नहीं सुनते हैं तो यह नाजायज है।
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