मुंबई , दिसंबर 08 -- महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र नागपुर में सोमवार को विपक्ष के नेता के बगैर शुरू हुआ और जिसके लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को विपक्ष के सवालों का सामना भी करना पड़ा।

शिवसेना (यूबीटी) नेता भास्कर जाधव ने कहा, "सरकार को यह बताना चाहिए कि विधानमंडल का कौन सा नियम यह शर्त रखता है कि विपक्ष को नेता पद देने के लिए विपक्षी पार्टी के पास 10 प्रतिशत सदस्य होने चाहिए। जब आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली में सत्ता में थी, तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 10 प्रतिशत सदस्य न होने के बावजूद विपक्ष के नेता का पद मिला था। भाजपा पद लेते समय शर्तों को याद नहीं रखती लेकिन पद देते समय उन्हें सभी नियम और शर्तें याद आ जाती हैं।"कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार ने कहा, "यह एक संवैधानिक पद है। इसे खाली रखना और काम जारी रखना सरकार की मनमानी है। हमने अपना प्रस्ताव दिया है। उन्हें विपक्ष के नेता की नियुक्ति करनी चाहिए। लेकिन अगर वे ऐसा नहीं करना चाहते हैं, तो उन्हें यह मानना होगा कि वे संविधान और लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते हैं।"मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इससे पहले एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संबंधित सदनों के अध्यक्षों को विपक्ष के नेताओं को चुनने का पूरा अधिकार है और सरकार उनका जो भी फैसला होगा उसे स्वीकार करेगी।

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