नयी दिल्ली , अक्टूबर 07 -- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के प्रमुख के रूप में अपनी सेवा के 25वें वर्ष में प्रवेश करते हुए देश के लोगों का आभार व्यक्त किया है।
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में 2001 में आज ही के दिन शपथ लेने के वक्त को याद करते हुए श्री मोदी ने कहा "मुझे गुजरात के मुख्यमंत्री पद की ज़िम्मेदारी बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सौंपी गई थी। उस वर्ष राज्य भीषण भूकंप से जूझ रहा था और उससे पहले के वर्षों में राज्य को एक महाचक्रवात, लगातार सूखा और राजनीतिक अस्थिरता का भी सामना करना पड़ा था। इन चुनौतियों ने मुझे लोगों की सेवा करने और नए उत्साह और आशा के साथ गुजरात के पुनर्निर्माण के संकल्प को और मज़बूत किया।"प्रधानमंत्री ने गरीबों के लिए सदैव कार्य करने और कभी रिश्वत न लेने की मां की सलाह को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते समय याद किया। उनकी मां ने कहा था कि सदैव गरीबों के लिए कार्य करना और कभी रिश्वत नहीं लेनी चाहिए। श्री मोदी ने लोगों को भरोसा दिलाया था कि वह जो भी करेंगे, वह नेक इरादे से और कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति की सेवा करने के भाव से प्रेरित होगा।
गुजरात में अपने कार्यकाल पर विचार करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि उस समय लोगों को लग रहा था कि राज्य फिर कभी उन्नति नहीं कर पाएगा। किसान बिजली और पानी की कमी की शिकायत कर रहे थे, कृषि मंदी की चपेट में थी और औद्योगिक विकास ठप था। उन्होंने कहा कि सामूहिक प्रयासों से गुजरात सुशासन का केंद्र बन गया। कभी सूखाग्रस्त राज्य, कृषि में शीर्ष प्रदर्शन करने वाला राज्य बन गया, व्यापार का विस्तार विनिर्माण और औद्योगिक क्षमताओं में हुआ और सामाजिक एवं भौतिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिला।
श्री मोदी ने कहा कि 2013 में, जब देश विश्वास और शासन के संकट से जूझ रहा था, उन्हें 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया। देश की जनता ने उनके गठबंधन को प्रचंड बहुमत और उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया जिससे नए विश्वास और उद्देश्य के युग का सूत्रपात हुआ। पिछले 11 वर्षों में देश कई महत्वपूर्ण परिवर्तनों का साक्षी बना है और 25 करोड़ से ज़्यादा लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है और भारत प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक उज्ज्वल स्थान के रूप में उभरा है।
देश की जनता के निरंतर विश्वास और स्नेह के लिए आभार दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र की सेवा करना सर्वोच्च सम्मान है। संविधान के मूल्यों से प्रेरित होकर, उन्होंने विकसित भारत के सामूहिक स्वप्न को साकार करने के लिए और भी अधिक परिश्रम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
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