चंडीगढ़, सितम्बर 29 -- भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुग ने सोमवार को यहां पार्टी मुख्यालय के पास आयोजित "जनता की विधानसभा" कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि अवैध खनन, धुस्सी बाँधों के टूटने और पंजाब सरकार की लापरवाही ने राज्य में आई बाढ़ को "मानव निर्मित त्रासदी" में बदल दिया।
श्री चुघ ने कहा कि राज्य को दशकों तक सतलुज, ब्यास, रावी और घग्गर नदियों के किनारे बने लगभग 900 किलोमीटर लंबे धुस्सी बाँधों ने बाढ़ से बचाया। अटल बिहारी वाजपेयी और सरदार प्रकाश सिंह बादल के समय केंद्र की मदद से इन्हें मजबूत किया गया था। लेकिन अब पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने खनन माफियाओं के दबाव में इन्हें खोखला होने दिया। उन्होंने कहा कि 2022 से 2025 तक सरकार ने खनन से 20,000 करोड़ की आय का दावा किया लेकिन खजाने में पहुँचे मात्र 288 करोड़ रुपये।उन्होंने कहा, "बाकी 19,622 करोड़ कहाँ गए?"भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए श्री चुघ ने कहा कि इस बार बारिश सिर्फ 24 प्रतिशत ज़्यादा हुई थी। इसके बावजूद 2100 गाँव क्यों डूबे? असली कारण था - जनवरी से मई तक बाढ़-रोधी मीटिंग न करना और 2800 किलोमीटर बाँधों के टेंडर पर कोई काम न होना। यह सब खनन माफिया के दबाव में हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि गाँवों के सरपंच लगातार लिखते रहे कि अवैध खनन से बाँध टूट रहे हैं। यहाँ तक कि जब ग्रामीणों ने सड़क पर धरना दिया तो उन पर हमला कर उन्हें डराया गया।
श्री चुघ ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, सेना, गुरुद्वारों, मंदिरों और स्वयंसेवकों की सराहना की जिन्होंने राहत कार्यों में कोई कमी नहीं छोड़ी। साथ ही उन्होंने माँग की कि धुस्सी बाँधों की पूरी मरम्मत हो, मनरेगा से बाँध मजबूत किए जाएँ, पारदर्शी खनन नीति बने और वैज्ञानिकों की एक टास्क फोर्स बनाई जाए। उन्होंने कहा कि कि दोषी अधिकारियों और नेताओं पर प्राथमिकी दर्ज हो, केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जाँच हो और प्रभावित परिवारों के लिए कम से कम 100 करोड़ रुपये की पुनर्वास निधि दी जाए।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित