नयी दिल्ली , अक्टूबर 07 -- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ के 18 जिलों को कवर करने वाली रेलवे की चार मल्टी ट्रैकिंग यानी पटरियों की संख्या बढ़ाने की परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिनके निर्माण से रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में करीब 894 किलोमीटर की बढ़ोत्तरी होगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की मंगलवार को यहां हुई बैठक में इन चारों परियोजनाओं के प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी।

सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी देते हुए बताया कि इन चारों परियोजनाओं पर करीब 24,634 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। सभी परियोजनाओं को 2030-31 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है।

उन्होंने बताया कि इन परियोजनाओं में महाराष्ट्र में वर्धा-भुसावल के बीच 314 किमी लंबी तीसरी और चौथी लाइन, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में 84 किमी लंबी गोंदिया-डोंगरगढ़ चौथी लाइन, गुजरात और मध्य प्रदेश में 259 किमी लंबी वडोदरा-रतलाम तीसरी और चौथी लाइन तथा मध्य प्रदेश में 237 किमी लंबी इटारसी-भोपाल-बीना चौथी लाइन शामिल हैं।

श्री वैष्णव ने बताया कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ राज्यों के 18 जिलों में व्याप्त इन चार परियोजनाओं से रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 894 किलोमीटर की वृद्धि होगी। स्वीकृत मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 3,633 गांव को कवर किया जा सकेगा जिनकी जनसंख्या लगभग 85 लाख 84 हजार है। इसके अलावा इन परियोजनाओं से दो आकांक्षी जिलों विदिशा और राजनांदगांव तक भी संपर्क बढ़ेगा।

उन्होंने बताया कि लाइन क्षमता में बढ़ोतरी से गतिशीलता बढ़ेगी जिससे रेलवे की परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा। मल्टी ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन सुगम बनाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लाया गया है। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नये भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप इन परियोजनाओं से क्षेत्र के लोगों का व्यापक विकास होगा, वे आत्मनिर्भर बनेंगे और उनके लिए रोज़गार तथा स्वरोज़गार के अवसर बढ़ेंगे। पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत तैयार इन परियोजनाओं का उद्देश्य एकीकृत योजना और हितधारक परामर्श द्वारा मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक दक्षता बढ़ाना है। ये परियोजनाएं लोगों, वस्तुओं और सेवाओं को निर्बाध संपर्क प्रदान करेंगी।

उन्होंने कहा कि परियोजना खंड सांची, सतपुड़ा बाघ अभयारण्य, प्रागैतिहासिक मानव जीवन के प्रमाणों और प्राचीन शैल चित्रकला के लिए प्रसिद्ध भीमबेटका शैलाश्रय, हज़ारा जलप्रपात, नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान आदि प्रमुख स्थलों को भी रेल संपर्क प्रदान करेगा जो देश भर के पर्यटकों को आकर्षित करेगा।

यह कोयला, कंटेनर, सीमेंट, फ्लाई ऐश, खाद्यान्न, इस्पात आदि वस्तुओं के परिवहन के लिए भी आवश्यक मार्ग है। पटरियों की संख्या बढ़ाए जाने से प्रति वर्ष 78 टन की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे के पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन माध्यम होने के कारण यह देश के जलवायु लक्ष्यों और परिचालन लागत कम करने, तेल आयात में 28 करोड़ लीटर की कमी लाने और कार्बन उत्सर्जन 139 करोड़ किलोग्राम कम करने में मदद करेगा, जो छह करोड़ वृक्षारोपण के बराबर है।

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