दुर्ग , अक्टूबर 03 -- छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के प्रति गंभीर नजर आ रही है। बच्चों को शिक्षा से जोड़ने और स्कूलों में उनकी रुचि बढ़ाने के लिए कई प्रोग्राम युद्धस्तर पर चल रहे हैं। इसी कड़ी में अब शिक्षकों की समयानुसार उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सरकार एक पायलेट प्रोजेक्ट के तहत ई-अटेंडेंस सिस्टम लागू करने जा रही है।

शुरुआत में यह सिस्टम प्रदेश के पांच स्कूलों में लागू किया जाएगा। इसके बाद इसे धीरे-धीरे सभी स्कूलों तक बढ़ाने की योजना है।

वहीं शिक्षा विभाग के इस कदम का शालेय शिक्षक संघ ने विरोध शुरू कर दिया है। संघ का कहना है कि यह प्रयोग शिक्षकों की निजता पर खतरा पैदा कर सकता है। संघ के पदाधिकारियों के अनुसार, शिक्षकों के निजी मोबाइल पर ऐप डाउनलोड करने के लिए बाध्य करना निजता का हनन है। किसी भी ऐप को इंस्टॉल करने के लिए कैमरा और डेटा एक्सेस देना पड़ता है, जिससे व्यक्तिगत जानकारी के दुरुपयोग का जोखिम बढ़ जाता है।

संघ ने शिक्षा विभाग पर भी सवाल उठाए हैं कि क्या विभाग को अपने ही अधिकारियों और कर्मचारियों पर भरोसा नहीं है। संघ का कहना है कि संकुल प्राचार्य, संस्था प्रमुख, बीआरसीओ और बीईओ जैसे जिम्मेदार पदों पर मौजूद अधिकारियों की निगरानी के बावजूद ऐप से उपस्थिति की निगरानी क्यों आवश्यक है।

साथ ही, शिक्षक संघ ने तकनीकी अड़चनों को भी लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि वनांचल और दूरस्थ इलाकों में अभी भी मोबाइल टावर नहीं लगे हैं और शहरों में नेटवर्क और सर्वर डाउन रहने की समस्या आम है। ऐसे में मोबाइल नेटवर्क आधारित अटेंडेंस व्यवस्था अव्यहारिक और अनुचित है।

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