नयी दिल्ली , अक्टूबर 28 -- नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने समुद्री क्षेत्र में गैर पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक समुद्री सुरक्षा तंत्र की जरूरत पर बल दिया है। एडमिरल सिंह ने मंगलवार को यहां सातवें हिन्द प्रशांत क्षेत्रीय संवाद 2025 (आईपीआरडी) में उद्घाटन भाषण देते हुए यह बात कही। इस संवाद का थीम 'समग्र समुद्री सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देना: क्षेत्रीय क्षमता निर्माण और क्षमता वृद्धि' है। उन्होंने कहा कि बड़ी समुद्री शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा , सरकार से इतर तत्वों और गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों के कारण समुद्री क्षेत्र में रणनीतिक उथल-पुथल की स्थिति है। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक समुद्री तंत्र की जरूरत है।

इसके बाद बांग्लादेश, जापान, इंडोनेशिया, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका के पांच प्रतिष्ठित वक्ताओं के साथ एक दिलचस्प सत्र हुआ जिसमें उन्होंने 'जलवायु परिवर्तन के सुरक्षा प्रभावों से निपटने के लिए सहकारी क्षमता निर्माण और क्षमता वृद्धि' पर अपने विचार रखे। इस सत्र में यह बात सामने आई कि जलवायु परिवर्तन के संयुक्त प्रभाव मूल्यांकन और इसके प्रभावों को कम करने के लिए एक अखिल-क्षेत्रीय कार्य योजना तैयार करने की जरूरत है।

इससे पहले नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने भारत के आर्थिक विकास और सुरक्षा के लिए समुद्री क्षेत्रों, विशेष रूप से हिन्द प्रशांत के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की 'महासागर' की समुद्री नीति क्षेत्र में सभी के लिए समृद्धि और सुरक्षा की परिकल्पना करती है। उन्होंने इस लक्ष्य को हांसिल करने के लिए सहयोग और समन्वय को मुख्य साधन बताया। नौसेना प्रमुख ने कैप्टन के एस विक्रमादित्य द्वारा लिखित और नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित 'फ्यूचर मैरीटाइम वॉरफेयर' नामक पुस्तक का भी विमोचन किया।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित