एमसीबी , दिसंबर 22 -- छत्तीसगढ के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 किसानों के लिए आशा, आत्मविश्वास और आर्थिक स्थिरता का प्रतीक बनकर सामने आया है। राज्य सरकार की पारदर्शी और किसान केंद्रित धान खरीदी व्यवस्था ने यह भरोसा कायम किया है कि किसानों की मेहनत का पूरा मूल्य अब सुरक्षित और समय पर उन्हें प्राप्त हो रहा है।
इसी बदले हुए तंत्र की सशक्त मिसाल ग्राम पेंड्री निवासी किसान लेकमान सिंह है। किसान लेकमान ने बरदर उपार्जन केंद्र में धान विक्रय कर इस व्यवस्था के सकारात्मक प्रभाव को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया।
जिला जनसंपर्क अधिकारी से सोमवार को मिली जानकारी के मुताबिक, किसान लेकमान सिंह लंबे समय से खेती पर निर्भर हैं। प्राकृतिक चुनौतियों, बढ़ती लागत और बाजार की अनिश्चितताओं के बावजूद उन्होंने धैर्यपूर्वक धान की खेती की। राज्य में प्रति एकड़ 21 क्विंटल तक धान खरीदी की नीति और 3100 रुपये प्रति क्विंटल के स्पष्ट समर्थन मूल्य ने उनके मन से असमंजस को दूर किया और यह विश्वास दिलाया कि अब उनकी मेहनत का उचित मूल्य निश्चित है। तुहर टोकन 24x7 प्रणाली के अंतर्गत निर्धारित तिथि पर टोकन मिलने के बाद जब वे बरदर उपार्जन केंद्र पहुंचे, तो उन्हें सुव्यवस्थित और अनुशासित व्यवस्था का अनुभव हुआ। केंद्र पर स्वच्छ पेयजल, बैठने की सुविधा और कर्मचारियों का सहयोगी व्यवहार किसानों के सम्मान को प्राथमिकता देने का उदाहरण रहा। डिजिटल तौल, फोटो आधारित सत्यापन और समय पर डाटा एंट्री से पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रही।
इस सत्र में किसान लेकमान ने कुल 111.20 क्विंटल धान का सफलतापूर्वक विक्रय किया। भुगतान राशि सीधे उनके बैंक खाते में जमा होने से उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है। उन्होंने बताया कि समय पर भुगतान से बच्चों की शिक्षा, घरेलू जरूरतों और आगामी कृषि सत्र की तैयारी बेहतर ढंग से हो पा रही है।
किसान लेकमान ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में लागू किसान हितैषी नीतियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बदली हुई धान खरीदी व्यवस्था ने खेती को सुरक्षित और सम्मानजनक आजीविका बनाया है। उनकी यह सफलता कहानी प्रदेश के हजारों किसानों के बढ़ते भरोसे की प्रतीक है।
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