लखनऊ , दिसंबर 10 -- उत्तर प्रदेश में दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और समावेशी विकास को नई गति देने के लिए योगी सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में प्रदेश के सभी 18 मंडल मुख्यालयों पर दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र (डीडीआरसी) स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय से लाखों दिव्यांगजनों को चिकित्सा, शिक्षा, प्रशिक्षण व पुनर्वास सेवाएँ एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सकेंगी।

बुधवार को पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री नरेंद्र कश्यप ने कहा कि यह पहल दिव्यांगजनों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में बड़ा कदम सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि सरकार दिव्यांगजनों के जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह निर्णय उसी संवेदनशीलता का प्रतीक है।

मंत्री नरेंद्र कश्यप ने बताया कि विभागीय अधिकारियों को डीडीआरसी केंद्रों की स्थापना के लिए संपूर्ण कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। प्रस्तावित मॉडल के अनुसार, प्रत्येक केंद्र पर कम से कम आठ तकनीकी विशेषज्ञों और कर्मचारियों की नियुक्ति होगी, जो दिव्यांगजनों के निदान, परामर्श, उपचार और पुनर्वास का कार्य करेंगे।

उन्होंने कहा कि जन्म से लेकर किसी भी उम्र तक की दिव्यांगता की पहचान और समाधान सुनिश्चित किया जाएगा। कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और त्वरित सेवा के लिए डिजिटल पंजीकरण एवं ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया जाएगा, जिससे दिव्यांगजन अपनी समस्या के समाधान की स्थिति घर बैठे देख सकेंगे।

वर्तमान में प्रदेश के 11 मंडल मुख्यालयों पर डीडीआरसी संचालित हैं। यह निर्णय न केवल शेष 7 मंडलों में नए केंद्रों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि मौजूदा केंद्रों को अत्याधुनिक सुविधाओं से भी लैस किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इन केंद्रों से दिव्यांगजन न केवल उपचार पाएंगे बल्कि कौशल विकास के जरिये रोजगार के अवसर भी प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि यह पहल उत्तर प्रदेश को दिव्यांग सशक्तिकरण के क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करेगी।

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