नयी दिल्ली , अक्टूबर 18 -- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी में कटौती से राज्यों के राजस्व में संभावित हानि की क्षतिपूर्ति की व्यवस्था किये जाने की मांग पर शनिवार को कहा कि इसके लिए "केंद्र के पास पैसे की कोई अलग बोरी नहीं रखी है" और सभी को राजस्व संग्रह के लिए अधिक कुशलता से काम करना होगा।

उन्होंने कहा कि कर की दरों में कमी को कर का नुकसान नहीं कहा जाना चाहिए बल्कि उसका प्रभाव देखा जाना चाहिए । उन्होंने उम्मीद जतायी है कि जीएसटी में हाल की कमी से मांग को जिस तरह का प्रोत्साहन मिला है उससे कर राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।

श्रीमती सीतारमण ने जीएसटी सुधार के प्रभाव पर यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जीएसटी परिषद में केंद्र और राज्यों की बराबर के भागीदारी हैं।" उन्होंने जीएसटी परिषद का उल्लेख करते हुए कहा , " हम सब वहाँ एक साथ बैठे हैं। किसी भी राजस्व हानि को, जिस तरह से रखा गया है, वह केंद्र के लिए भी हानि है। आय में कोई भी कमी केंद्र की आय में भी कमी है...।" संवाददाता सम्मेलन को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैषणव ने भी संबोधित किया।

वित्त मंत्री ने क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर एक प्रश्न के जवाब में कहा , 'केंद्र के पास अलग से कोई धन की बोरी नहीं जिससे वह उन राज्यों को की क्षतिपूर्ति कर सके जिनका राजस्व मोचे पर प्रदर्शन अच्छा नहीं है।" उन्होंने कहा, ' हम सब इस फैसलों में समान रूप से शामिल हैं और यह बात जीएसटी परिषद में भी कही जा चुकी है। मैं इस बात को दोहराना चाहूँगी। मैं पैसों की कोई अलग बोरी लेकर नहीं बैठी हूँ। जीएसटी परिषद में, हम सब एक ही भंडार के बीच में एक साथ बैठे हैं। हम सब संग्रह करते हैं, उसमें डालते हैं और उसमें से निकालते हैं।"उन्होंने कहा कि अगर संग्रह कम होता है, तो हम सभी को संग्रह में और अधिक कुशल होना होगा।

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मोदी सरकार ने जीएसटी लागू करने के लिए राज्यों को पांच साल तक 14 प्रतिशत की वर्ष दर वर्ष राजस्व वृद्धि न होने पर क्षतिपूर्ति करने का आश्वासन दिया था। इस आश्वासन को पूरा करने के साथ इस सरकार ने पिछली संप्रग सरकार के समय वैट (केंद्रीय बिक्री कर) की क्षतिपूर्ति के बकायों का भुुगतान किया था।

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