कोच्चि , अक्टूबर 03 -- सबरीमाला भगवान अयप्पा मंदिर में पवित्र कलाकृतियों पर स्वर्ण परत चढ़ाने से जुड़ा विवाद गहरा हो गया है। केरल उच्च न्यायालय ने त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी) के अंतर्गत कथित विसंगतियों एवं गायब कीमती वस्तुओं के लिए न्यायिक जांच का आदेश दिया है।

मंदिर के द्वारपालक (संरक्षक देवता) की मूर्तियों और उनके आसनों की पुनर्स्थापना परियोजना 2019 में शुरू हुयी और अब यह एक बड़े घोटाले में तब्दील हो गयी है जिससे भक्तों के चढ़ावे के प्रबंधन में जवाबदेही एवं पारदर्शिता को लेकर चिंतायें बढ़ गयी हैं।

आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 42.8 किलोग्राम वजन की सोने से मढ़ी तांबे की प्लेटें चेन्नई स्थित फर्म स्मार्ट क्रिएशंस को नवीनीकरण के लिए दी गई थीं। हालांकि जब ये कलाकृतियां वापस आयी तो उनका वजन 38.258 किलोग्राम निकला जिसमें चार किलोग्राम से ज़्यादा की कमी थी।

इस मामले में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब वर्षों से गायब एक स्वर्ण परत चढ़ा हुआ आसन (पीडम) हाल ही में स्वर्ण परत कार्य के मुख्य प्रायोजक उन्नीकृष्णन पोट्टी के एक रिश्तेदार के घर से बरामद हुआ। उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद इस कलाकृति को सबरीमाला में पुनः स्थापित किया गया।

टीडीबी के रिकॉर्ड में खामियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उच्च न्यायालय ने बोर्ड की सतर्कता शाखा को मूल्यवान वस्तुओं के संभावित प्रतिस्थापन या गलत तरीके से रखे जाने की जांच का निर्देश दिया। सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति के. टी. शंकरन को मंदिर में मौजूद सभी सोने, चांदी एवं प्राचीन वस्तुओं की व्यापक सूची की जांच करने के लिए नियुक्त किया गया है।

न्यायालय ने तिरुवभरणम आयुक्त कार्यालय से सभी प्रासंगिक दस्तावेजों को जब्त करने का भी आदेश दिया और टीडीबी के मुख्य सतर्कता एवं सुरक्षा अधिकारी को तीन सप्ताह के अंदर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत के लिए कहा, जिसमें यह स्पष्ट करना है कि क्या स्ट्रांग रूम में नकली मूर्तियां या आसन मौजूद हैं।

पीठ ने पाया कि मंदिर के रजिस्टरों का रखरखाव ठीक से नहीं किया गया जिनमें तारीख, वजन, मूल्यांकन एवं कलाकृतियों की आवाजाही जैसे महत्वपूर्ण विवरण या तो गायब थे या गलत तरीके से दर्ज किए गए थे। इस मामले की 27 अक्टूबर को फिर से समीक्षा की जाएगी।

इस घटनाक्रम पर तीखी राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गयी हैं। विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और चोरी का आरोप लगाया और राज्य सरकार तथा देवास्वोम बोर्ड पर गबन छिपाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

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