तिरुवनंतपुरम , अक्टूबर 05 -- भाजपा नेता और पूर्व मिजोरम के राज्यपाल कुम्मनम राजशेखरन ने रविवार को त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि वर्ष 1998 में उद्योगपति विजय माल्या द्वारा सबरीमाला के भगवान अयप्पा मंदिर में दान दी गयी करोड़ों रूपये की सोने की परतें गायब हो गयी हैं।

संवाददाताओं से बात करते हुए श्री कुम्मनम ने कहा कि यूनाइटेड ब्रुअरीज ग्रुप (यूबी ग्रुप) के अध्यक्ष माल्या ने द्वारपालक मूर्तियों सहित पहाड़ी मंदिर के गर्भगृह (श्रीकोविल) को सोने से मढ़वाने के लिए 30.3 किलोग्राम सोना दान किया था।

उन्होंने आरोप लगाया कि यह सच है कि द्वारपालक की मूर्तियों पर सोने की परत चढ़ी हुई थी, लेकिन जब 2019 में जीर्णोद्धार के लिये उन्हें हटाया गया, तो वहां से सोना नहीं बल्कि सिर्फ तांबा ही निकाला गया। वहां काम करने वाली चेन्नई स्थित स्मार्ट क्रिएशन कंपनी ने इस बात की पुष्टि की है।

उन्होंने कहा कि यहां तक की वर्तमान देवस्वोम बोर्ड के अध्यक्ष ने भी इस बात का माना कि वर्ष 2019 में केवल तांबा ही निकाला गया था। फिर 1998 में लगाई गयी सोने की परतें गयी कहां? सरकार को इसका जवाब देना चाहिये।

अयप्पा वैश्विक समारोह में अब कुछ ही दिन शेष हैं, ऐसे में उन्होंने सोने की परत हटाने के मामले को रहस्य बताया और बोर्ड पर पारदर्शिता के बिना काम करने और मंदिर की परंपराओं और अदालती निर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि बोर्ड इसे बिना अदालत की मंजूरी और भक्तों को बिना जानकारी दिये किया, जो कि गंभीर अपराध है। 2023 के एक अदालती निर्देश के मुताबिक पवित्र आभूषणों या कीमती चीजों को मंदिर परिसर के बाहर ले जाना वर्जित है। लेकिन बोर्ड ने देवस्वोम नियमावली को दरकिनार किया, जिसमें मंदिर परिसर के अंदर ही सभी मरम्मत और नवीनीकरण का आदेश दिया गया है।"श्री कुम्मनम ने बोर्ड पर राजनीतिक अंहकार का भी आरोप लगाया और दावा किया कि उसने नियमों की अनदेखी कर सत्तारूढ़ सरकार के संरक्षण में काम किया। उन्होंने सवाल उठाया कि शिल्पकार उन्नीकृष्णन पोट्टी जिन्होंने पहले प्लेटिंग के काम लिये 40 साल की गारंटी देने का वादा किया था, उन्हें कथित खामियों के बावजूद 2019 के नवीनीकरण का काम क्यों सौंपा गया।

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