सबरीमाला (केरल) , अक्टूबर 08 -- केरल में अय्यप्पा सेवा समाजम ने सबरीमाला स्थित भगवान अय्यप्पा मंदिर में कथित भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को लेकर देवस्वोम बोर्डों को भंग करने तथा मंदिर प्रशासन को श्रद्धालुओं के नेतृत्व वाली समितियों को सौंपने की मांग की है।

सबरीमाला अय्यप्पा सेवा समाजम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इरोड राजन ने कहा कि हाल के दिनों में मीडिया रिपोर्टों में मंदिर में अनियमितताओं के कई मामलों को उजागर किया गया है, जो 2018 से चल रहे विवादों की याद दिलाते हैं। श्रद्धालु प्रभावी कार्रवाई के अभाव से निराश हैं और दीर्घकालिक समाधान की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि, "श्रद्धालुओं को लगता है कि वे अब सरकार या देवस्वोम अधिकारियों पर भरोसा नहीं कर सकते। उनकी एकमात्र आशा न्यायपालिका से हस्तक्षेप और जवाबदेही सुनिश्चित करने की है।"उन्होंने कहा कि चिंताओं में मंदिर की संपत्ति का कथित दुरुपयोग, चढ़ावे की अनियमित खरीद और अनुष्ठानिक वस्तुओं का कुप्रबंधन शामिल है। श्री राजन ने कहा कि अदालतों की चेतावनियों और आलोचनाओं के बावजूद बहुत कम बदलाव आया है, जिससे भक्तों में व्यापक अविश्वास पैदा हो रहाहाल ही में इरोड के एक व्यक्ति ने विशेष आयुक्त या मंदिर अधिकारियों को सूचित किए बिना सबरीमाला में अयप्पा की मूर्ति स्थापित करने के लिए देवस्वोम बोर्ड से अनुमति प्राप्त करने पर एक विवाद हुआ। कथित तौर पर उस व्यक्ति ने बोर्ड के नाम पर भक्तों से दान एकत्र किया। विशेष आयुक्त के हस्तक्षेप के कारण अदालत ने मूर्ति स्थापना पर रोक लगा दी, हालाँकि मामला अभी तक सुलझा नहीं है।

श्री राजन ने पूर्व बोर्ड अध्यक्ष ए. पद्मकुमार पर भी गंभीर कदाचार का आरोप लगाया। श्री पद्मकुमार ने कथित तौर पर 2019 में व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए बिना अनुमति के भगवान अयप्पा के अनुष्ठानिक योगदंड को गर्भगृह से हटा दिया था। लौटाई गई वस्तु की प्रामाणिकता और अभिलेखों को लेकर सवाल बने हुए हैं।

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