अगरतला , दिसंबर 19 -- त्रिपुरा ने लंबे समय तक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने और सतत कृषि को समर्थन करने के लिए बारिश के पानी को इकट्ठा करने को प्रोत्साहित किया।

कृषि और किसान कल्याण मंत्री रतन लाल नाथ ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत जलग्रहण क्षेत्र विकास परियोजना पर एक बैठक के बाद यह बात कही। उन्होंने बताया कि जबकि भूजल का इस्तेमाल सुरक्षित स्तर पर बना हुआ है, चल रही पहल का मकसद आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी के संसाधनों को बचाना है। पीएमकेएसवाई का मकसद जलग्रहण क्षेत्र , चेक डैम, तालाबों और वृक्षारोपण के ज़रिए बारिश के पानी के संचय को बढ़ाना है, जिससे समुदायों को पानी प्रबंधन में ज़्यादा आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद मिलेगी।

श्री नाथ ने कहा उनके मौजूदा चरण में राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति की है और मार्च के बाद चरण 3.0 शुरू किया जाना तय है। उन्होंने क्षेत्रीय असमानताओं पर भी प्रकाश डाला और कहा कि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्य, जो काफी हद तक भूजल पर निर्भर हैं, गिरते जलस्तर के कारण गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। जबकि इसके विपरीत त्रिपुरा अपने भूजल संसाधनों का सिर्फ़ 10 प्रतिशत ही इस्तेमाल करता है, जिससे यह अपेक्षाकृत सुरक्षित स्थिति में है। उन्होंने सावधानीपूर्वक योजना बनाने की जरूरत पर जोर दिया और अधिकारियों से अगले चरण में और वित्तपोषण हासिल करने के लिए 15 जनवरी तक बचे हुए परियोजना कोष को आवंटित करने का आग्रह किया।

मंत्री ने राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे पानी के स्रोत बनाने की योजनाओं का भी खुलासा किया, जिन्हें सड़क पहुंच, बच्चों के पार्क, ओपन जिम और वृक्षारोपण के साथ एकीकृत किया जाएगा, ताकि संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके और साथ ही सामुदायिक विकास को भी आगे बढ़ाया जा सके।

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