जोधपुर , दिसंबर 21 -- केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने विपक्ष दलों पर निशाना साधते हुए कहा है कि वे संसद को राजनीतिक हंगामे का अखाड़ा बना रहे है जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
श्री शेखावत ने रविवार सुबह जोधपुर हवाई अड्डे पर मीडिया से बातचीत में एक बार फिर विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि दुर्भाग्य से पिछले कुछ वर्षों में विपक्ष संसद को चर्चा के मंच के बजाय राजनीतिक हंगामे का अखाड़ा बनाने का प्रयास करता रहा है। कागज फाड़ना, नारेबाजी करना और सदन की कार्यवाही को बाधित करना किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि जहां तक कुछ विषयों पर हो रहे विरोध की बात है तो लगता है कि आज देश में कहीं न कहीं विरोध को एक आदत बना लिया गया है। कुछ लोग बिना विषय को समझे, बिना उसके पीछे के उद्देश्य को जाने, केवल विरोध करने के लिए विरोध कर रहे हैं। विशेष रूप से उन सुधारात्मक कदमों का विरोध किया जा रहा है जो लोकतंत्र की रक्षा और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये किये गये हैं।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग संविधान के तहत अपने दायित्व निभा रहा है और उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव निष्पक्ष, पारदर्शी और विश्वसनीय हों। इसके लिए आवश्यक निर्णय लेना चुनाव आयोग का संवैधानिक अधिकार और कर्तव्य है। दुर्भाग्य से कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं, जबकि उन्हें स्वयं यह स्पष्ट नहीं है कि वे विरोध क्यों कर रहे हैं। कुछ स्थानों पर ऐसे तत्व भी हो सकते हैं, जिन्हें अवैध या अनुचित रूप से मतदाता सूची में शामिल नामों से राजनीतिक लाभ मिलता रहा हो और वही लोग अब इन सुधारों का विरोध कर रहे हैं।
श्री शेखावत ने कहा कि यह भी एक विडंबना है कि जो लोग कुछ समय पहले स्वयं इन सुधारों की मांग कर रहे थे वहीं आज भ्रमित मनःस्थिति में उनका विरोध कर रहे हैं। यह एक प्रकार से भ्रमग्रस्त मानसिकता का संकट है। सरकार और संवैधानिक संस्थाएं अपना कार्य पूरी प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी के साथ कर रही हैं और आगे भी करती रहेंगी। उन्होंने कहा कि संसद में जनता अपने प्रतिनिधियों को सेवा और विमर्श के लिए भेजती है।
उन्होंने कहा कि संसद वह स्थान है, जहां चर्चा होनी चाहिए, विचार-विमर्श होना चाहिए, सरकार की नीतियों और निर्णयों की समीक्षा होनी चाहिए। यह देखा जाना चाहिए कि योजनाएं धरातल पर कैसे उतरी हैं और उन्हें और बेहतर कैसे बनाया जा सकता है। हालांकि यह उनका अधिकार है लेकिन देश की जनता सब देख रही है। जनता यह भी समझती है कि कौन संवाद और समाधान की राजनीति करना चाहता है और कौन केवल अवरोध और भ्रम की राजनीति। समय आने पर जनता अपने विवेक के अनुसार निर्णय भी करती है।
सेरेंडिपिटी आर्ट्स फाउंडेशन के गोवा में आयोजित सांस्कृतिक उत्सव 'सेरेंडिपिटी' से जुड़े सवाल पर श्री शेखावत ने कहा कि कला और संस्कृति आधारित कार्यक्रम में सम्मिलित होने का अवसर मिला। वहां की कला और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों ने उन्हें भीतर तक प्रभावित किया। यह दस दिनों तक चलने वाला कार्यक्रम वास्तव में एक अद्भुत सांस्कृतिक अनुभव होता है। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि यह देश का सबसे बड़ा बहुआयामी सांस्कृतिक उत्सव है, जिसमें दृश्य कला और परफॉर्मिंग आर्ट, दोनों विधाओं को समान महत्व दिया जाता है। इस प्रकार के आयोजन न केवल नवोदित कलाकारों को एक सशक्त मंच प्रदान करते हैं बल्कि शहर के पर्यटन को भी बढ़ावा देते हैं और संस्कृति-आधारित रचनात्मक अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को विस्तार देते हैं।
श्री शेखावत ने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक उत्सव यह सिद्ध करते हैं कि कला और संस्कृति केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि आर्थिक विकास, पर्यटन और वैश्विक संवाद का भी सशक्त माध्यम हैं और भारत जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश के लिए इस प्रकार के आयोजन हमारी सॉफ्ट पावर को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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