न्यूयार्क/नयी दिल्ली, सितम्बर 27 -- विदेश मंत्री डा एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्थानाओंं की विश्वसनीयता और मजबूती को लेकर सवाल उठाते हुए इनमें सुधारों की पुरजोर वकालत की है और सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी पेश करते हुए कहा है कि वह बड़ी वैश्विक जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार है।

उन्होंंने कहा कि भारत ग्लोबल साउथ की दिक्कतों को समझता है और उनके समाधान की दिशा मेंं ठोस योगदान देने के साथ साथ हमेशा प्रबलता के साथ उनकी आवाज उठाता रहेगा। इसके साथ ही भारत संकट के समय मदद का हाथ बढाने वाले देशों में सबसे आगे है।

डा जयशंकर ने शनिवार देर रात संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80 वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि यदि संयुक्त राष्ट्र की स्थिति का तटस्थ आकलन किया जाये तो पता चलेगा कि यह संस्था संकट की स्थिति मेंं है। उन्होंने कहा ," जब संघर्षों के कारण शांति खतरे में होती है, जब संसाधनों की कमी के कारण विकास पटरी से उतर जाता है, जब आतंकवाद द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है, तब संयुक्त राष्ट्र अवरुद्ध रहता है। जैसे-जैसे साझा आधार बनाने की इसकी क्षमता कम होती जाती है, बहुपक्षवाद में विश्वास भी कम होता जाता है।"उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता के क्षरण का मुख्य कारण सुधारों का प्रतिरोध रहा है। अधिकांश सदस्य परिवर्तन की प्रबल इच्छा रखते हैं , लेकिन इस प्रक्रिया को परिणाम की राह में बाधा बनाया जा रहा है।

विदेश मंत्री ने कहा कि यह आवश्यक है कि सभी देश इस निराशावाद को समझें और सुधार के एजेंडे पर उद्देश्यपूर्ण ढंग से ध्यान दें। अफ्रीका के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय का निवारण किया जाना चाहिए। उन्होंंने कहा कि सुरक्षा परिषद की स्थायी और अस्थायी, दोनों सदस्यता का विस्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुधारों के बाद गठित सुरक्षा परिषद वास्तव में प्रतिनिधित्वपूर्ण होनी चाहिए और भारत बड़ी ज़िम्मेदारियाँ संभालने के लिए तैयार है।

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