नयी दिल्ली , नवंबर 19 -- विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने गैर भाजपा सरकारों वाले राज्यों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों पर अंकुश लगाने की मांगों के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि ऐसा करने वाले खुद अपना नुकसान करेंगे।

श्री आलोक कुमार ने 'यूनीवार्ता' के साथ एक विशेष बातचीत में संघ को भारतीय संस्कृति और परम्परा से जुड़ा संगठन बताया है और कहा है कि संघ पर पहले भी कुछ सरकारों ने पाबंदी लगाने के कदम उठाये थे, या उसे दबाने की कोशिश की गयी थी, लेकिन व्यापक जनभावनाओं के समक्ष उन्हें अपने कदम वापस लेने पड़े।

संघ के पंजीकरण को लेकर उठाये जा रहे सवालों पर श्री कुमार ने कहा कि संगठन का स्वरूप क्या हो, यह निर्णय उसका है। उसके वर्तमान स्वरूप से किसी कानून का उल्लंघन नहीं होता। उल्लेखनीय है कि श्री कुमार एक विधिवेत्ता भी हैं।

कर्नाटक में कथित तौर पर संघ की गतिविधियों को लक्षित कर सार्वजनिक सभा आदि को लेकर हाल में लगाये गये कुछ विवादास्पद प्रतिबंधों और उस पर मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की सफाई से जुड़े मुद्दों पर विहिप नेता ने कहा, " संघ पर प्रतिबंध लगाना उसके कार्यों में रोक-टोक पैदा करना, उन्हीं लोगों के हित में नहीं है, जो ऐसा कर रहे हैं। "श्री कुमार ने कांग्रेस और कर्नाटक की सिद्दारमैया सरकार को नसीहत देने के अंदाज में कहा, " संघ पर जो भी प्रतिबंध लगाते हैं, या कोई रोक-टोक करते हैं, वे काल के प्रभाव में नष्ट हो जाते हैं, संघ को लेकर अगर कर्नाटक (सरकार) कोई ऐसा प्रयत्न करेगी, तो उसका परिणाम भी यही होगा। "उन्होंने कर्नाटक के मुद्दे को गंभीर बताया और कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद जवाहर लाल नेहरु सरकार ने संघ को प्रतिबंधित किया था, उस समय जनता के प्यार एवं संघ कार्यकर्ताओं के संकल्प ने पूरे देश में उसके खिलाफ एक विशाल आंदोलन खड़ा किया, जिसके कारण संघ पर लगे प्रतिबंध को हटाना पड़ा।

आपातकाल दौर का जिक्र करते हुये श्री कुमार ने कहा, " उस समय भी इंदिरा गांधी की सरकार ने संघ पर प्रतिबंध लगाते हुये, बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों को जेल में डाल दिया था। आपातकाल के दौरान संघ के कार्यालय पर शासन ने ताले डलवा दिये थे, लेकिन हिन्दुओं के साहस एवं संघ कार्यकर्ताओं के संकल्प के आगे इंदिरा सरकार को संघ पर लगे प्रतिबंध को हटाना पड़ा। इस तरह की कार्रवाई का परिणाम यह हुआ कि आपातकाल के बाद हुए चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पराजय का मुंह देखना पड़ा।

संघ के प्रति बार-बार प्रतिबंध वाली सोच को स्वयं के लिए हानिकारक बताते हुए विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, " 1992 में भी तीसरी बार तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने संघ पर प्रतिबंध लगाया था, उस समय कोर्ट ने भी माना प्रतिबंध गलत है, संघ भारत की जड़ों से जुड़ा है, भारत की परम्परा में है, भारत की संस्कृति में है, आज संघ हिन्दू समाज के स्नेह के कारण ही यह ज़िन्दा है। "कांग्रेस नेताओं द्वारा संघ के पंजीकरण के मुद्दे को उछाले जाने के विषय में एक सवाल पर कहा पंजीकरण कोई कानूनी आवश्यकता नहीं है, संघ एसोसिएशन आफ पर्सन्स (व्यक्तियों का संघ) है, अब तक ऐसा कोई कानून नहीं बना है कि हर एक एसोसिएशन को पंजीकरण कराना पड़े। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा, " इसलिये संघ का पंजीकरण कराना या न कराना, ये संघ की इच्छा है। उसके वर्तमान स्वरूप में कुछ भी गैर कानूनी नहीं है।

गौरतलब है कि कर्नाटक सरकार ने 18 अक्टूबर को एक आदेश में निजी संगठनों, संघों और समूहों की गतिविधियों के लिए सरकारी संपत्ति या सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करने पर कुछ पाबंदी लगा दी थी। कर्नाटक उच्च न्यायालय की धारवाड़ बेंच ने मंगलवार को राज्य सरकार के उस आदेश पर 29 अक्टूबर को अंतरिम रोक लगा दी थी।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित