मुंबई , अक्टूबर 26 -- महाराष्ट्र सरकार की ओर से रविवार को श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहादी शताब्दी को समर्पित राज्य स्तरीय विशाल समारोह का आयोजन मुंबई के दादर स्थित योगी हॉल में किया गया।

इस आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समारोह की अगुवाई महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और दमदमी टकसाल के मुखी, संत समाज के प्रधान संत ज्ञानी हरणाम सिंह खालसा ने की। समारोह के दौरान गुरु साहिब की शहादत और जीवनगाथा को समर्पित प्रसिद्ध गायक डा. सतिंदर सरताज का नया गीत 'हिंद दी चादर' जारी किया गया।

सिख तालमेल समिति के प्रमुख भाई जसपाल सिंह सिद्धू के अनुसार, संत ज्ञानी हरणाम सिंह खालसा ने समारोह में पहुँची असीम संगत का धन्यवाद किया। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार और विशेष रूप से मुख्यमंत्री फड़नवीस की ओर से गुरु साहिबों के प्रति प्रकट की गई अटूट श्रद्धा और उनकी शहादत को राज्य स्तरीय स्मरणीय ढंग से मनाने के लिए किए गए प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह प्रयास न केवल सिख भाईचारे के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पूरे भारत में धार्मिक सहिष्णुता, सम्मान और राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक के रूप में प्रेरणा देता है।

उन्होंने कहा, "हमारा गुरु परिवार किसी एक धर्म का नहीं, बल्कि समस्त मानवता का रक्षक है और आज के समय में यह संदेश और भी महत्वपूर्ण हो गया है।"मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने अपने भावपूर्ण संबोधन में कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब जी केवल सिख धर्म ही नहीं, बल्कि सभी भारतीय धर्मों के रक्षक थे - इसी कारण उन्हें 'हिंद दी चादर' कहा जाता है। उन्होंने कहा, "जब औरंगज़ेब ने कश्मीरी पंडितों को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया, तब गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने उनकी रक्षा के लिए अपना शीश अर्पित किया। उनकी शहादत ने अत्याचार के खिलाफ सत्य की आवाज बुलंद की और खालसा पंथ को नई आत्मिक शक्ति प्रदान की।"श्री फडनवीस ने कहा, "जो समाज अपने इतिहास को भूल जाता है, उसका भविष्य अंधकारमय हो जाता है।" उन्होंने कहा कि आज जिस स्वतंत्रता, धार्मिक अभिव्यक्ति और विश्वास की खुली हवा में हम सांस ले रहे हैं, वह गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहादत का प्रसाद है। उन्होंने कहा कि आज की ताकतें जो हमें बांटने की कोशिश करती हैं, उनका जवाब गुरु साहिब की शहादत हमें एकता और सहिष्णुता का पाठ पढ़ा कर देती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्यक्रम विभिन्न समुदायों - सिख, सिंधी, लुबाना, सिकलिगर, बंजारा और मोहियाल समुदायों को गुरु साहिब की साझा विरासत के तहत एकत्र करता है। यह केवल सामाजिक एकता नहीं, बल्कि भारत की साझा आध्यात्मिक संस्कृति का जीवंत प्रतीक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी सर्व-साझेवाला का जीवंत प्रतीक हैं - जिनमें संत नामदेव जी, भगत रविदास जी समेत कई साध-भक्तों की बाणी को सम्मान मिला है। महाराष्ट्र सरकार इस अनमोल विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

समारोह के दौरान 'हिंद दी चादर - श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी 350वां शहादी समारोह राज्य स्तरीय कार्यशाला' की शुरुआत की गई इसके साथ गुरु साहिब की शहादत से संबंधित विषयों पर आधारित विशेष वेबसाइट और ऐतिहासिक प्रकाशन (पेपर) का उद्घाटन भी किया गया।

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