श्रीगंगानगर , दिसम्बर 24 -- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को निरस्त करके नया कानून 'विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन' (ग्रामीण)' यानी वीबी-जी राम जी लागू करने के फैसले के खिलाफ वामपंथी दलों ने बुधवार को यहां जिला कलेक्ट्रेट के निकट महाराजा गंगासिंह चौक पर प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों ने नए कानून की प्रतियां जलाकर अपना रोष व्यक्त किया और केंद्र सरकार पर ग्रामीण मजदूरों के हितों पर कुठाराघात करने का आरोप लगाया।

प्रदर्शन का नेतृत्व अखिल भारतीय ग्रामीण एवं खेत मजदूर यूनियन की प्रदेशाध्यक्ष दुर्गा स्वामी ने किया। उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि नया कानून ग्रामीण और कृषि मजदूरों के हितों के पूरी तरह विपरीत है। सरकार ने पुराने मनरेगा के मजबूत प्रावधानों को करीब समाप्त कर दिया है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते थे। हालांकि नए कानून में न्यूनतम रोजगार दिवसों को 100 से बढ़ाकर 125 कर दिया गया है, लेकिन भुगतान की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों पर थोपकर केंद्र ने खुद को इस दायित्व से मुक्त कर लिया है।

श्रीमती स्वामी ने कहा कि वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने मनरेगा की मूल आत्मा को ही नष्ट कर दिया है। यह कानून ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करता है और मांग-आधारित रोजगार गारंटी को आपूर्ति-आधारित योजना में बदल देता है। नए प्रावधानों में कृषि मौसम के दौरान ब्लैकआउट पीरियड का प्रावधान भी शामिल है, जो मजदूरों की आजीविका को प्रभावित करेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि नए कानून का विरोध लगातार जारी रहेगा और वामपंथी दल इसे वापस लेने के लिए संघर्ष करेंगे।

प्रदर्शनकारियों को वरिष्ठ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता गुरचरणसिंह, मोड, वकीलसिंह, जीतसिंह, पालाराम, हरकेवलदीपसिंह और कामरेड मोहनलाल ने भी संबोधित किया।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित