श्रीगंगानगर , दिसम्बर 24 -- राजस्थान उच्च न्यायालय ने श्रीगंगानगर जिले में प्रस्तावित अग्रिम संयुक्त हवाई अड्डे (एफसीएबी) के लिए भूमि अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है।
इस फैसले से 'ऑपरेशन सिंदूर' नामक इस रक्षा परियोजना को अब तेजी से अमली जामा पहनाया जा सकेगा, जो पाकिस्तान सीमा के करीब वायुसेना की ताकत को कई गुना बढ़ाएगा।
न्यायाधीश डॉ नूपुर भाटी की एकल पीठ ने फैसले में जोर देकर कहा कि जब बात देश की सुरक्षा की हो तो व्यक्तिगत दर्द को जनहित के तराजू पर तौलना पड़ता है। न्यायालय ने 58 किसानों की याचिका को 'तकनीकी बहानों का पुलिंदा' बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ताओं का दावा था कि भूमि अधिग्रहण कानून-2013 की अनदेखी हुई, सामाजिक प्रभाव आकलन (एसआईए) में पक्षपात था, जनसुनवाई महज खानापूर्ति थी और पुनर्वास योजना का कोई नामोनिशान नहीं। मुआवजे को भी बाजार दर से कम आंका गया।
न्यायालय ने रक्षा मंत्रालय और राज्य सरकार के तर्कों को मजबूत पाया, जहां बताया गया कि एसआईए निष्पक्ष था, जनसुनवाई की रिकॉर्डिंग मौजूद है और किसी का घर या मुख्य आजीविका स्रोत प्रभावित नहीं हो रहा।
यह परियोजना न सिर्फ सैन्य महत्व की है, बल्कि स्थानीय इतिहास से भी जुड़ी हुई है। लालगढ़ जाटान गांव में पहले से मौजूद हवाई पट्टी, जो 1960 के दशक से कभी नागरिक उड़ानों का गवाह बनी थी।
समझा जाता है कि यही हवाई पट्टी अब एक आधुनिक सैन्य अड्डे में तब्दील होने वाली है। इस हवाई पट्टी पर करीब पांच वर्ष पहले दिल्ली और जयपुर के लिए शुरू हुई दैनिक उड़ानें एक हादसे के बाद बंद हो गयीं, लेकिन इस हवाई पट्टी के विस्तार से शायद नागरिक हवाई सेवा की उम्मीद फिर जाग सकती है। कुल 132.825 हेक्टेयर जमीन पर बनने वाला यह अड्डा सीमा पर त्वरित कार्रवाई की क्षमता बढ़ाएगा, जहां तक किसानों का सवाल है, सरकार का दावा है कि 162 प्रभावित किसानों में से किसी को विस्थापित नहीं किया जा रहा और पुनर्वास की जरूरत ही नहीं, लेकिन स्थानीय लोग अब सोच रहे हैं कि क्या यह फैसला सीमा की सुरक्षा के साथ-साथ इलाके की आर्थिक उड़ान भी भर सकता है। समय बताएगा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' सिर्फ सैन्य चमक लाएगा या स्थानीय सपनों को भी पंख देगा।
उल्लेखनीय है कि सीमावर्ती श्रीगंगानगर जिले में पहले से ही वायु सेवा का एक एयरबेस स्टेशन सूरतगढ़ के समीप है।
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