नयी दिल्ली , नवंबर 11 -- उच्चतम न्यायालय शिवसेना चुनाव चिन्ह विवाद मामले की बुधवार से सुनवाई करेगा।

इससे पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की याचिका में भारत के चुनाव आयोग के 17 फरवरी, 2023 के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें श्री एकनाथ शिंदे की पार्टी को 'असली शिवसेना' के रूप में मान्यता दी गई थी और श्री शिंदे की पार्टी को 'धनुष-बाण' चिन्ह आवंटित किया गया था। उल्लेखनीय है कि 'धनुष-बाण' चिन्ह शिवसेना में पहले अविभाजित शिवसेना के पास हुआ करता था।

इसे पहले न्यायमूर्ति सूर्यकांत, उज्जल भुयान और नोंग्मीकापम कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई 12 नवंबर के लिए स्थगित कर दी थी। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों का हवाला देते हुए शीघ्र सुनवाई की मांग की थी।

चुनाव आयोग ने श्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को फरवरी 2023 में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा उपचुनाव में 'जलता मशाल' के अस्थायी प्रतीक का उपयोग करके लड़ने की अनुमति दी थी। इसके बावजूद श्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना इस बात पर अड़ी रही कि भारत के चुनाव आयोग ने पार्टी के संगठनात्मक ढांचे या उसकी वैचारिक निरंतरता की बजाय पूरी तरह से विधायी ताकत के आधार पर अपना फैसला सुनाकर एक तटस्थ मध्यस्थ की भूमिका का निर्वहण नहीं किया है।

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की याचिका में तर्क दिया गया है कि चुनाव आयोग चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 की भावना का पालन करने में विफल रहा है, जो पार्टी के भीतर के विवादों में निष्पक्ष निर्णय का आदेश देता है।

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