पणजी , नवंबर 22 -- निर्देशक शाद अली ने अपने पिता मुजफ्फर अली द्वारा शुरू की गई 'जूनी : लॉस्ट एंड फाउंड' का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है।
श्री शाद अली ने अपने पिता के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करते हुए इसे पिता-बेटे की जोड़ी के लिए एक प्रयोग और महंगा उपचार बताया।
इस फिल्म को फंड की कमी और कश्मीर घाटी में स्थिति खराब होने के कारण रोक दिया गया था। लेकिन श्री शाद अब अपनी फिल्म को रिलीज करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
श्री शाद ने मूल 'जूनी' को बिना लगाम का घोड़ा बताते हुए कहा कि कोई नहीं जानता कि यह कहां जाएगी। 'किल दिल' के निर्देशक ने फिल्म की आगामी दिनों में होने वाली रिलीज के बाबत कहा, "मुझे नहीं पता कि यह कहां और कैसे होगी।" अब इसका अपना सफर है। यहां तक पहुंचने में 40 साल लग गए हैं।" श्री शाद ने फिल्म को पूरा करने के सफर को बहुत थका देने वाला बताते हुए कहा कि अगर कोई उनसे इसे दोबारा करने के लिए कहे, तो वह नहीं कर पाएंगे।
उन्होंने कहा, "फिल्म बनाने के दौरान अपने पिता को अत्यधिक भावनात्मक रूप में देखना आसान बात नहीं थी। यह बहुत अजीब था। अगर शुरू में कोई फिल्म नहीं होती, तो मुझे नहीं लगता कि ऐसा होता। यह प्रयोगात्मक और बहुत महंगा उपचार है। मैं इसकी सलाह नहीं देता।"श्री शाद ने कहा कि इस फीचर-डॉक्यूमेंट्री के निर्माण के दौरान वह अपने पिता के और करीब आ गए। उन्होंने कहा कि यह फिल्म हम दोनों को जोड़ने वाला एक उपचार की तरह है। उन्होंने कहा, "यह 100 प्रतिशत थेरेपी है। मुझे लगता है कि लोग इसे पसंद करेंगे।" श्री शाद ने 'जूनी : लॉस्ट एंड फाउंड' के दौरान आई मुश्किलों के बारे में बताते हुए कहा कि टेक्निकल मुश्किलें थीं।
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