कोलकाता , दिसंबर 23 -- केंद्रीय राज्य मंत्री और मतुआ समुदाय के प्रमुख चेहरे शांतनु ठाकुर के मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान नामों को हटाने को स्वीकार्य करार देने संबंधी बयान से उनके अपने ही समुदाय में आक्रोश एवं गहरी बेचैनी का माहौल है।

श्री ठाकुर ने उत्तर 24 परगना के बगदाह में एक जनसभा को संबोधित करते हुए यहां तक कहा कि केंद्र के साथ सहयोग के नाम पर इस तरह का बलिदान उचित है ।उन्होंने यह भी दावा किया कि मतदाता कार्ड या राशन कार्ड नागरिकता स्थापित नहीं करते हैं और उन्होंने बंगलादेश से आये प्रवासियों के लिये नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को एकमात्र समाधान कहा।

उन्होंने कहा, "हमारे लिए एसआईआर कोई समस्या नहीं है। अगर केंद्र सरकार के साथ सहयोग करने के लिए हमें एसआईआर में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है तो हम उनका सामना करेंगे।" लोगों का मानना है कि उन्होंने इस तरह का बयान क्यों दिया है जबकि इसमें लगभग एक लाख मतुआ समुदाय को अपने मतदान के अधिकार से वंचित होना पड़ सकता है।

केंद्रीय मंत्री ने आगे तर्क दिया कि अगर "50 लाख रोहिंग्या, बंगलादेशी मुस्लिम और पाकिस्तानी मुस्लिम" को हटाने का मतलब यह है कि "मेरे समुदाय के एक लाख लोग" अस्थायी रूप से मतदान के अधिकार से वंचित हो जाते हैं, तो यह एक ऐसा समझौता है जिस पर विचार करना चाहिए।

इन टिप्पणियों ने बंगाल में एक नया राजनीतिक तनाव उत्पन्न कर दिया है, जिससे तृणमूल कांग्रेस को भाजपा पर मतुआ समुदाय को उपेक्षित मानने एवं मताधिकार छीनने की धमकी देकर मतदाताओं को सीएए की ओर धकेलने के लिए एसआईआर का उपयोग एक दबाव के रूप में करने का आरोप लगाने का अवसर मिल गया है।

उनके बयानों ने हालांकि, एसआईआर और सीएए के बीच संबंध के बहस को और तेज कर दिया है। जहां भाजपा बार-बार यह कहती रही है कि दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है, वहीं तृणमूल नेताओं का दावा है कि मतदाता सूची में संशोधन का उपयोग डर उत्पन्न करने और प्रवासी श्रमिकों के कुछ वर्गों को सीएए के अंतर्गत आवेदन करने के लिए प्रेरित करने के लिए किया जा रहा है।

कई मतदाताओं, विशेषकर मतुआ समुदाय के लोगों को डर है कि मतदाता सूची से नाम हटाए जाने से उनकी नागरिकता पर सवाल उठ सकते हैं। उसी बगदाह बैठक में श्री ठाकुर ने सीएए का पुरजोर समर्थन करते हुए इसे अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा बताया।

उन्होंने कहा कि सीएए का मतलब केंद्र सरकार के साथ सहयोग करना है। बंगलादेश से आए लोगों को सीएए के अंतर्गत आवेदन करना होगा। सिर्फ वोटर कार्ड या राशन कार्ड होने से कोई नागरिक नहीं बन जाता। इसीलिए सीएए लाया गया है, जिससे उनके अपने समुदाय में बेचैनी और बढ़ गई है।

तृणमूल कांग्रेस ने अपने एक्स हैंडल पर एक तीखे शब्दों में भाजपा पर हमला तेज करते हुए उस पर मतुआ समुदाय के साथ घृणास्पद, पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया। पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने वर्षों तक मतुआ समुदाय के सामने नागरिकता का भ्रम रखा और अब उन्हें व्यर्थ की वस्तु समझ रही है।

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