लखनऊ , दिसंबर 16 -- भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने कहा कि विवि का शताब्दी वर्ष समारोह केवल एक औपचारिक उत्सव नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय की सौ वर्षों की गौरवशाली शैक्षणिक, सांस्कृतिक और शोधपरक यात्रा का उत्सव है।

उन्होंने कहा कि यह आयोजन विश्वविद्यालय की भावी शैक्षणिक नीतियों, शोध गतिविधियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करेगा। साथ ही यह समारोह युवा पीढ़ी को भारतीय संगीत, नृत्य एवं सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने में भी अहम भूमिका निभाएगा।

मंगलवार को भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य एवं समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ में आगामी 18 से 20 दिसंबर तक आयोजित होने वाले शताब्दी वर्ष समारोह की तैयारियों का मंगलवार को प्रमुख सचिव (संस्कृति एवं पर्यटन) उत्तर प्रदेश सरकार अमृत अभिजात ने स्थलीय निरीक्षण किया।

निरीक्षण के दौरान प्रमुख सचिव ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रस्तावित मुख्य समारोह स्थल, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के मंच, अतिथि स्वागत एवं आवास व्यवस्था, सुरक्षा प्रबंध, स्वच्छता, प्रकाश व्यवस्था, यातायात प्रबंधन, मीडिया समन्वय सहित अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं का गहन अवलोकन किया। इसके साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में निर्माणाधीन ऐतिहासिक परीखाने का भी निरीक्षण कर कार्य प्रगति की समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने शताब्दी वर्ष समारोह को राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर गरिमामय पहचान दिलाने पर विशेष जोर देते हुए कहा कि सभी तैयारियां उच्च गुणवत्ता, समयबद्धता और समन्वय के साथ पूरी की जाएं। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल एक शैक्षणिक संस्थान का उत्सव नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण अवसर है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. सृष्टि धवन ने प्रमुख सचिव को शताब्दी वर्ष समारोह से जुड़ी अब तक की गई तैयारियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने प्रस्तावित कार्यक्रमों की रूपरेखा, गठित विभिन्न समितियों, विभागीय दायित्वों और आगामी कार्ययोजना से अवगत कराया। निरीक्षण के दौरान कुलसचिव ने आयोजन से जुड़े सभी विभागाध्यक्षों एवं कर्मचारियों के साथ व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि समारोह से संबंधित सभी कार्य आपसी समन्वय, अनुशासन और समयबद्धता के साथ पूरे किए जाएं, ताकि आयोजन में किसी भी स्तर पर कोई कमी न रह जाए।

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