नयी दिल्ली , नवम्बर 27 -- सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा है कि तेजी से बदलते और अनिश्चित वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सेना में बड़े स्तर पर बदलाव किये जाने की जरूरत है।

जनरल द्विवेदी ने बुधवार को यहां सेना के सेमिनार 'चाणक्य डिफेंस डायलॉग - 2025' को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया एक उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है, जहां बड़ी ताकतें "लगातार टकरा रही हैं और प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।"उन्होंने कहा, "दुनिया शीत युद्ध की द्विध्रुवीयता से संक्षिप्त एकध्रुवीय दौर के बाद अब एक अनिश्चित और बिखरी हुई व्यवस्था की ओर अग्रसर है। अभी दुनिया भर में 50 से अधिक संघर्ष चल रहे हैं और यह कहना कि हम अशांत समय में जी रहे हैं, शायद हल्की टिप्पणी होगी। "उन्होंने कहा कि वैश्विक भू-राजनीति प्रतिरोधक क्षमता, राष्ट्रीय सुरक्षा और युद्ध तैयारियों में जुटी है और ऐसे में सेना के समक्ष एक मूलभूत प्रश्न उठता है कि उसे किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने की तैयारी के तहत किस तरह के बदलावों की जरूरत है। उन्होंने इस बारे में एक दीर्घकालिक रूपरेखा पेश करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य सेना का एकीकरण और इसे प्रौद्योगिकी से लैस करना है।

सेना प्रमुख ने कहा कि सेना में व्यापक बदलावों के तहत आत्मनिर्भरता , त्वरित नवाचार , अनुकूलन और पारिस्थितिकी तंत्र सुधार और सैन्य-नागरिक समन्वय पर जोर दिये जाने की जरूरत है। उन्होंने " विभिन्न क्षेत्रों में गहन तालमेल" की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि युद्धक क्षमता का विकास बहु-एजेंसी और बहु-आयामी प्रयास होना चाहिए।

उन्होंने कहा, "सैन्य संगठन संकोच छोड़ रहा है और फायरिंग रेंज खोल रहा है, स्टार्ट-अप को फंड दे रहा है और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मिशनों में शामिल हो रहा है।" साथ ही उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक वैश्विक साझेदारियाें के लिए शिक्षाविदों, उद्योग और सेना में सहयोग जरूरी है।

सेमिनार का विषय " बदलाव के लिए सुधार : सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत" है और इसका आयोजन सेना तथा सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज़ द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित