वृंदावन , अक्टूबर 15 -- सदियों पुरानी परंपराओं को तोड़ते हुए, वृंदावन के ऐतिहासिक गोपीनाथ मंदिर में बुधवार शाम सैकड़ों विधवा माताओं ने दिवाली का जश्न मनाया। सुलभ इंटरनेशनल द्वारा आयोजित इस विशेष कार्यक्रम का उद्देश्य था कि समाज की मुख्यधारा में विधवा माताओं को पुनः शामिल किया जाए और उन्हें समानता, आत्मसम्मान और आशा का अनुभव कराया जाए।

भारत में पीढ़ियों से अपने पति को खो चुकी माताओं को अक्सर "अशुभ" माना जाता रहा है, और पारंपरिक रूप से उन्हें त्योहारों और खुशी के अवसरों से दूर रखा जाता था। इस वर्ष करीब 100 से अधिक माताएँ मंदिर में एकत्रित हुईं और रंग-बिरंगे दीये जलाकर दिवाली मनाई।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुलभ इंटरनेशनल की कार्यकारी संयोजक नित्या पाठक ने कहा, "यह पवित्र भूमि राधा-कृष्ण की है, जहाँ प्रेम, भक्ति और करुणा का संगम होता है। जब हम दीप जलाते हैं, तो यह केवल पूजा का नहीं बल्कि समानता, आत्मसम्मान और आशा का प्रतीक होता है।"पाठक ने इस वर्ष की दिवाली की खासियत बताते हुए कहा कि गोबर दीप का उपयोग किया गया है, जो पर्यावरण संरक्षण, गौ-सेवा और ग्रामीण परंपरा का प्रतीक है। उन्होंने आगे कहा, "डॉ. पाठक का सपना था कि दीपावली की रोशनी हर घर और हर हृदय में समान रूप से जले। आज हमारी माताएँ मुस्कुरा रही हैं, दीप जला रही हैं और आत्मसम्मान के साथ जीवन जी रही हैं, यही सच्ची दीपावली है।"उन्होंने माताओं को भरोसा दिलाया कि सुलभ परिवार हर पर्व, रक्षाबंधन, होली या दीपावली, उनके साथ मिलकर मनाएगा और उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ेगा।

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