जेनेवा , नवंबर 30 -- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बांझपन के निदान और उपचार के लिये अपने पहले वैश्विक दिशानिर्देशों में देशों से प्रजनन देखभाल को सभी के लिए सुरक्षित और अधिक किफायती बनाने का आह्वान किया है।

अनुमान है कि औसतन 6 में से 1 व्यक्ति अपने जीवन में प्रजनन आयु के दौरान कभी न कभी बांझपन से प्रभावित होता है। इससे संबंधित सेवाओं की मांग दुनिया भर में बढ़ रही है लेकिन इसके उपचार तक फिलहाल बहुत ही कम लोगों की पहुंच है। बहुत से देशों में बांझपन की जांच और उपचार का खर्च लोगों को ज्यादातर अपनी जेब से वहन करने से प्रभावित व्यक्ति पर भारी वित्तीय बोझ पड़ता है। कुछ मामलों में तो 'इनविट्रो फर्टिलाइजेशन' (आईवीएफ) की एक स्टेज पर ही औसत वार्षिक घरेलू आय से दोगुनी लागत आ सकती है।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा " बांझपन हमारे समय की उन सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है, जिसकी सबसे ज़्यादा अनदेखी की गयी है और वैश्विक स्तर पर यह एक बड़ा मुद्दा है। इसका निदान और उपचार आर्थिक रूप से लाखों लोगों की पहुंच से बाहर होता है जिस वजह से वे सस्ते लेकिन अप्रमाणित उपचारों को अपनाने पर मजबूर हो जाते हैं। हम और अधिक देशों को इन दिशानिर्देश को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जिससे ज़्यादा लोगों को किफ़ायती, सम्मानजनक और विज्ञान-आधारित देखभाल तथा उपचार तक पहुंचने का अवसर मिल सके।"इन दिशानिर्देशों में 40 सुझाव शामिल हैं जो बांझपन के निदान और उपचार को मज़बूत बनाने का प्रयास करते हैं। यह हर स्तर पर लागत-प्रभावी विकल्पों को बढ़ावा देते हैं और राष्ट्रीय स्वास्थ्य रणनीतियों, सेवाओं तथा वित्तपोषण में प्रजनन देखभाल को एकीकृत करने के समर्थक हैं।

12 महीने या उससे अधिक समय तक नियमित यौन संबंध के बाद भी गर्भधारण न कर पाने की स्थिति को बांझपन के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह एक बड़े तनाव, सामाजिक दर्द और वित्तीय कठिनाई का कारण बन सकता है तथा लोगों की मानसिक और मनोसामाजिक स्थिति को भी प्रभावित कर सकता है।

ये दिशानिर्देश बांझपन के प्रभावी नैदानिक प्रबंधन के लिए आवश्यक कदमों पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इनमें स्कूलों, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और प्रजनन स्वास्थ्य सुविधाओं में प्रजनन क्षमता और बांझपन और उम्र जैसे कारकों पर जानकारी प्रदान करने और रोकथाम पर निवेश बढ़ाने का भी आह्वान किया गया है। ये बांझपन के प्रमुख जोखिम कारकों, जिनमें अनुपचारित यौन संचारित संक्रमण और तंबाकू का सेवन आदि से निपटने की आवश्यकता पर बल देतें हैं। स्वस्थ आहार, शारीरिक गतिविधि और तंबाकू सेवन से परहेज जैसी जीवनशैली में बदलाव की सलाह उन व्यक्तियों और जोड़ों को दी जाती है जो गर्भधारण की योजना बना रहे हैं या गर्भधारण का प्रयास कर रहे हैं। लोगों को प्रजनन क्षमता और बांझपन के बारे में पहले से जानकारी देने से उन्हें प्रजनन संबंधी योजनाएं बनाने में मदद मिल सकती है।

ये दिशानिर्देश पुरुष और महिला बांझपन के सामान्य जैविक कारणों के निदान के लिए नैदानिक मार्गों की रूपरेखा पेश करते हैं। क्लीनिकल परीक्षणों के निष्कर्षों और रोगी की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए ये मार्गदर्शन प्रदान करते हैं कि कैसे उपचार विकल्पों को सरल प्रबंधन रणनीतियों से आगे बढ़ाया जाए । ये उन मामलों में लाभकारी साबित होंगे जहां चिकित्सक ज्यादा जटिल उपचार जैसे अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान या आईवीएफ जैसे सक्रिय उपचार के बिना प्रजनन अवधि और प्रजनन क्षमता बढ़ाने पर सलाह देते हैं।

अवसाद, चिंता और सामाजिक अलगाव की भावनाएं बांझपन जन्म दे सकती है। ये दिशानिर्देश सभी प्रभावित लोगों के लिए मनो सामाजिक सहायता उपलब्ध कराने की जरूरत पर बल देते हैं। डब्ल्यूएचओ देशों को इन सिफारिशों को अपने स्थानीय संदर्भों के अनुसार ढालने और प्रगति की निगरानी करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इसके सफल कार्यान्वयन के लिए स्वास्थ्य मंत्रालयों, स्वास्थ्य पेशेवर समितियों, नागरिक समाज और रोगी समूहों के बीच सहयोग की आवश्यकता होगी।

इसमें कहा गया है कि इनके कार्यान्वयन को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के प्रति व्यापक, अधिकार-आधारित दृष्टिकोण के अनुरूप किया जाना चाहिए - जिसमें प्रजनन देखभाल भी शामिल है। इसे लोगों को इस बारे में व्यक्तिगत निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाना चाहिए कि उन्हें कब बच्चे पैदा करने हैं और कब नहीं।

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