नागपुर , दिसंबर 07 -- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि विधानसभा और विधानपरिषद में विपक्ष के नेता की नियुक्ति का अधिकार पूरी तरह से संबंधित पीठासीन अधिकारियों के पास है।
श्री फडणवीस ने राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस मामले में राज्य सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी जो भी फैसला लेंगे, उनकी सरकार उसे पूरी तरह से स्वीकार करेगी।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए आचार संहिता लागू होने के कारण शीतकालीन सत्र केवल एक सप्ताह के लिए निर्धारित किया गया है। छोटे सत्र के बावजूद, सरकार का लक्ष्य अधिकतम काम करना तथा विदर्भ और मराठवाड़ा के लिए फायदेमंद फैसले लेना है। उन्होंने कहा कि कुल 11 विधेयक पेश किए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार भागने की मानसिकता में नहीं है और विपक्ष की ओर से उठाए गए हर सवाल का उचित जवाब देगी।
उन्होंने कहा , "मैं उन्हें (विपक्ष को) साफ तौर पर कहता हूं कि वित्तीय स्थिति तनावपूर्ण होने के बावजूद राज्य किसी भी तरह से दिवालियापन की ओर नहीं बढ़ रहा है। हमारे पास उन योजनाओं को पूरा करने के लिए पैसा है जो हमने शुरू की हैं।" राहत उपायों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि बारिश से प्रभावित 92 प्रतिशत किसानों को पहले ही वित्तीय सहायता मिल चुकी है और बाकी लाभार्थियों को उनके केवाईसी विवरण अपडेट होने के बाद कवर किया जाएगा।
उन्होंने विपक्ष पर मुद्दों को समझे बिना आरोप लगाने का आरोप लगाया और जोर दिया कि उनकी सरकार विधानमंडल में उठाए गए किसी भी विषय पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, जो अपने बेटे की शादी के लिए बहरीन गए थे, पुणे लौट आए हैं और उम्मीद है कि वे रात में बाद में नागपुर पहुंच जाएंगे।
इससे पहले विपक्ष ने दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं की नियुक्ति न होने का आरोप लगाते हुए सरकार की ओर से आयोजित पारंपरिक सत्र-पूर्व चाय पार्टी का बहिष्कार किया।
पिछले साल विधानसभा चुनावों में विपक्ष को मिली चुनावी हार के बाद, कोई भी पार्टी कुल 288 सीटों में से 10 प्रतिशत सीटें हासिल नहीं कर पाई, जो विपक्ष के नेता का पद पाने के लिए न्यूनतम आवश्यक है।
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