नई दिल्ली , दिसंबर 22 -- देश का विद्युत क्षेत्र एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहाँ ऊर्जा भंडारण, ग्रिड लचीलापन और निर्णायक नीतिगत क्रियान्वयन यह तय करेंगे कि देश जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करते हुए आर्थिक विकास को बनाए रखने में कितना सफल होगा।
यह तथ्य सोमवार को यहां फिक्की की ओर से आयोजित इंडियन पावर एंड एनर्जी स्टोरेज कॉन्फ्रेंस 2025 में उभर कर सामने आया।
चर्चा में केंद्र सरकार के संबंधित विभागों के अधिकारियों, नीति-निर्माताओं, नियामकों और उद्योगजगत के प्रतिनिधियो ने भाग लिया।विद्युत मंत्रालय, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के सहयोग से आयोजित सम्मेलन का उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण और तापीय परिसंपत्तियों के प्रबंधन से जुड़ी जटिलताओं के बीच क्षेत्र के लिए एक रोडमैप तैयार करना था।
चर्चा में इस बात को रखांकित किया गया है इस समय पांच लाख मेगावाट से से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ, भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उत्पादक देश है। अब ध्यान धीरे-धीरे प्रणाली की दीर्घकालिक स्थिरता पर केंद्रित हो रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि यद्यपि देशमें नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी कुल स्थापित क्षमता में 50 प्रतिशत से अधिक हो चुकी है, फिर भी अभी वास्तविक बिजली आपूर्ति का लगभग 70 प्रतिशत तापीय ऊर्जा से प्राप्त किया जाता है।
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव श्रीकांत नागुलापल्ली ने कहा, "भारत का ऊर्जा संक्रमण केवल जलवायु कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि 2047 तक तीव्र आर्थिक विकास को समर्थन देने और ऊर्जा आत्मनिर्भरता प्राप्त करने से भी जुड़ा है।" उन्होंने आगामी विद्युत (संशोधन) विधेयक में वितरण दक्षता सुधारने, बिजली बाजार के विकास और अवसंरचना के बेहतर उपयोग से जुड़े प्रस्तावों की जानकारी दी।
उन्होंने डेटा एनालिटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित ग्रिड प्रबंधन और प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहनों को भविष्य के लिए तैयार और स्थिर विद्युत प्रणाली के प्रमुख साधन बताया।
अधिकारियों ने संचालन दक्षता और वित्तीय प्रदर्शन सुधारने में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर बल दिया। नेशनल स्मार्ट ग्रिड मिशन के निदेशक अतुल बाली ने कहा, "स्मार्ट मीटरिंग और स्मार्ट ग्रिड वितरण क्षेत्र में स्पष्ट सुधार ला रहे हैं, जिससे बिलिंग दक्षता, राजस्व प्राप्ति और उपभोक्ता सशक्तिकरण बढ़ा है।"केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के सदस्य (तापीय) प्रवीण गुप्ता ने कहा, "नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती हिस्सेदारी के साथ तापीय बिजली संयंत्रों का लचीला संचालन आवश्यक हो गया है, लेकिन इसे इस तरह लागू किया जाना चाहिए कि संयंत्रों की सेहत और दीर्घकालिक टिकाऊपन सुरक्षित रहे।" उन्होंने उत्पादन, पारेषण और भंडारण अवसंरचना में संतुलित योजना की आवश्यकता पर जोर दिया।
फिक्की की ऊर्जा पर समिति के सह-अध्यक्ष और हिंदुस्तान पावर प्रोजेक्ट्स के कार्यकारी उपाध्यक्ष दिनेश बत्रा ने कहा, "तापीय ऊर्जा आज भी भारत की बिजली व्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन बढ़ती लचीलापन आवश्यकताएँ परिसंपत्तियों पर भारी तकनीकी दबाव डाल रही हैं।" उन्होंने कहा कि इस समय ऐसी नीतियों और बाजार संरचनाओं की जरूरत है जो मौजूदा तापीय क्षमताओं की रक्षा करते हुए नवीकरणीय ऊर्जा के सहज एकीकरण को संभव बनाएं।
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