चंडीगढ़ , अक्टूबर 06 -- उत्तर प्रदेश के विद्युत इंजीनियरों ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वावधान में रविवार को आगरा में आयोजित 'विचार-मंथन सत्र' में यूपीपीसीएल (पावर कॉर्पोरेशन) द्वारा दिये गये निजीकरण के विकल्प को अस्वीकार कर दिया।
एआईपीईएफ के मीडिया सलाहकार वी.के. गुप्ता ने सोमवार को यहां जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण के बाद पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष द्वारा दिये गये विकल्पों को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने निजी कंपनी में नौकरी करने, अन्य निगमों में वापस लौटने और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के विकल्प के तीन बिंदुओं का विश्लेषण करते हुए कहा कि ये तीनों विकल्प विद्युतकर्मियों के भविष्य को बर्बाद कर देंगे, इसलिए निजीकरण किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।
ईस्टर्न इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष प्रशांत चतुर्वेदी ने झारखंड में रांची और जमशेदपुर के फ्रेंचाइज़ेशन के विरुद्ध संघर्ष के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि बिजली क्षेत्र का निजीकरण बेहद खतरनाक है और सभी इंजीनियरों को पूरी ताकत से संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा।
श्री गुप्ता ने कहा कि सभी बिजली इंजीनियरों ने एक स्वर में संकल्प लिया कि निजीकरण के विरुद्ध 312 दिनों से चल रहे आंदोलन को और तेज़ किया जायेगा। निजीकरण के विरुद्ध संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार निजीकरण का निर्णय वापस नहीं ले लेती।
महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर ने कहा कि विचार-मंथन सत्र का मुख्य उद्देश्य निजीकरण के विरुद्ध निर्णायक संघर्षों के लिए इंजीनियरों को प्रशिक्षित करना है। उन्होंने बताया कि डिस्कॉम स्तर पर ऐसे पांच शिविर आयोजित किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र में निजीकरण को रोकना मुश्किल नहीं है और निजीकरण के विरुद्ध निर्णायक संघर्ष किया जायेगा।
इस बीच, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने दावा किया है कि वर्टिकल पावर सिस्टम लागू होने से लखनऊ समेत चार शहरों में 3,000 से ज़्यादा नियमित पदों में कटौती होगी और हज़ारों संविदा कर्मचारियों की छंटनी होगी। समिति का आरोप है कि अखिल भारतीय डिस्कॉम एसोसिएशन के सुझाव पर यह व्यवस्था पूरी तरह से निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए लागू की गयी है।
समिति के अनुसार, बिजली कंपनियों के निजीकरण के ख़िलाफ़ 10 महीने से भी ज़्यादा समय से चल रहे विरोध प्रदर्शनों से हताश यूपीपीसीएल प्रबंधन अब कई शहरों में बिजली व्यवस्था का पुनर्गठन कर उसे शहरी वितरण फ़्रेंचाइज़ियों को सौंप रहा है। इस प्रस्ताव के तहत, निदेशक मंडल ने केस्को, अलीगढ़, मेरठ, बरेली, लेसा, ग़ाज़ियाबाद, मुरादाबाद, नोएडा और सहारनपुर में बिजली वितरण व्यवस्था के वर्टिकल पुनर्गठन को मंज़ूरी दे दी है।
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